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चिकित्सकीय परीक्षण में फेल परीक्षार्थी नहीं होगा असफल: इलाहाबाद हाईकोर्ट - ALLAHABAD HIGH COURT

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अलग-अलग मामलों में फैसला सुनाते हुए आदेश दिया है. एक आदेश के तहत इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सीआरपीएफ में कांस्टेबल भर्ती परीक्षा दूसरे से दिलाने के आधार पर चयन से बाहर करने का आदेश रद्द कर दिया है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट

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Published : Aug 3, 2019, 11:23 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सीआरपीएफ में कांस्टेबल भर्ती परीक्षा दूसरे से दिलाने के आधार पर चयन से बाहर करने का आदेश रद्द कर दिया है. कोर्ट ने कहा है कि याचियों की नियुक्ति पर रणविजय सिंह के मामले में पारित निर्णय के आधार पर फिर से विचार किया जाए. इस निर्णय में सुनवाई का अवसर दिए बगैर नियुक्ति रद्द करने के मामले पर हाईकोर्ट ने नए सिरे से विचार करने को कहा है.

यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र ने धरमवीर कुमार व तीन अन्य की याचिका पर दिया है. मामले के तथ्यों के अनुसार याचियों ने इलाहाबाद में हुई सीआरपीएक कांस्टेबल भर्ती की परीक्षा दी थी. बाद में अपनी जगह दूसरे से परीक्षा दिलाने के आधार पर उनकी नियुक्ति रद्द कर दी गई. याचिका का प्रतिवाद करते हुए कहा गया कि नियुक्ति रद्द करने का आदेश पश्चिम बंगाल में दिया गया है. ऐसे में याचिका यहां पोषणीय नहीं है. कोर्ट ने इस तर्क को नकारते हुए कहा कि परीक्षा इलाहाबाद में हुई थी, इसलिए यहां सुनवाई का क्षेत्राधिकार है. सुनवाई के दौरान कर्मचारी चयन आयोग और बीएसएफ के बीच पत्राचार की कॉपी भी पेश की गई, जिससे स्पष्ट हुआ कि आयोग याचियों के मामले में रणविजय सिंह केस के निर्णय के आधार पर विचार करने को तैयार है.

चिकित्सकीय परीक्षण के आधार पर परीक्षार्थी असफल नहीं
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक अन्य आदेश में कहा है कि लिखित, साक्षात्कार और शारीरिक दक्षता परीक्षा में उत्तीर्ण अभ्यर्थी को चिकित्सकीय परीक्षण के आधार पर असफल नहीं किया जा सकता है. कोर्ट ने भानु प्रताप राजपूत के मामले के निर्णय के हवाले से कहा कि दारोगा भर्ती 2016 के अभ्यर्थी को मेडिकल टेस्ट के आधार पर फेल करने का आदेश रद्द किया गया था.

यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र ने शोभित प्रजापति की याचिका पर अधिवक्ता सीमांत सिंह को सुनकर दिया है. इसी के साथ कोर्ट ने पुलिस भर्ती बोर्ड को याची की नियुक्ति पर नए सिरे से विचार कर दो माह में निर्णय लेने का निर्देश दिया है. याची ने 17 जून 2016 को जारी विज्ञापन के तहत दारोगा भर्ती का आवेदन किया था. लिखित सहित अन्य परीक्षाओं ने उत्तीर्ण होने बाद शारीरिक दक्षता परीक्षा व कागजात के सत्यापन में भी वह सफल हो गया. बाद में हुए मेडिकल टेस्ट में उसके सीने में निर्धारित मानक से कम फुलाव के आधार पर उसका अभ्यर्थन निरस्त कर दिया गया. इस आदेश को चुनौती देते हुए याचिका में कहा गया कि नियमावली के तहत अभ्यर्थी यदि सभी परीक्षाओं में उत्तीर्ण है, तो मेडिकल में उसे बाहर नहीं किया जा सकता.

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