प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court order) ने विधिक सेवा प्राधिकरण (legal services authority) को आदेश दिया है कि वह जेलो में बंद ऐसे कैदियों को चिन्हित करें, जो सामान्य या गंभीर अपराधों में विचाराधीन है और जेल जाने के बाद समय से अपनी जमानत के लिए आवेदन नहीं कर पाए. कोर्ट ने गरीबी अथवा अज्ञानता के कारण अपने विधिक अधिकारों से वंचित हुए कैदियों को आवश्यक सहायता पहुंचाने के लिए सभी जरूरी कदम उठाने का राज्य सरकार व विधिक सेवा प्राधिकरण को निर्देश दिया है.
कोर्ट ने कहा है कि सरकार के संबंधित अधिकारी विधिक सेवा प्राधिकरण की सहायता करें. गरीबी अथवा अज्ञानता के कारण समय से जमानत याचिका दाखिल कर पाने वाले बंदियों के मामले की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति अजय भनोट ने गरीब व वंचित विचाराधीन कैदियों की सहायता के लिए व्यापक निर्देश जारी किए हैं. कोर्ट ने कहा कि ऐसे बंदियों को चिन्हित किया जाए जो ट्रायल कोर्ट से जमानत खारिज होने के बाद हाई कोर्ट में जमानत के लिए आवेदन नहीं कर पाए या जिनकी जमानत अर्जी हाईकोर्ट से खारिज होने के बाद वह दूसरी जमानत अर्जी हाईकोर्ट में नहीं दाखिल पर पाए. उन कैदियों को भी चिन्हित करने के लिए कहा है, जो अपनी जमानत अर्जियों की सुनवाई में विलंब होने पर भी उनकी सुनवाई के लिए प्रभावी रूप से पैरवी नहीं कर पा रहे हैं.
हाईकोर्ट ने विधिक सेवा प्राधिकरण को निर्देश दिया है कि जमानत अर्जी समय से दाखिल न कर पाने या पैरवी न कर पाने वाले बंदियों के बारे में यह जांच की जाए कि वह विधिक सहायता प्राप्त करने के दायरे में आते हैं अथवा नहीं. कोर्ट ने कहा कि ऐसे बंदियों को विधिक सहायता पहुंचाई जाए जो समय से जमानत अर्जी दाखिल कर पाने में नाकाम रहे हैं. ऐसे बंदियों की ओर से पैरवी करने वाले वकीलों को भी सहायता पहुंचाने का कोर्ट ने विधिक सेवा प्राधिकरण को निर्देश दिया है ताकि ताकि वह निर्देश व दस्तावेज आदि प्राप्त कर सकें.