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अभ्यर्थियों की बड़ी संख्या को नियंत्रित करने के लिए कट ऑफ मार्क्स जरूरी: इलाहाबाद हाईकोर्ट

गुरुवार को प्रशिक्षित स्नातक अध्यापक हिंदी के चयन में कट ऑफ मार्क्स पर इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court on Cut Off Marks) ने कहा कि अभ्यर्थियों की बड़ी संख्या को नियंत्रित करने के लिए यह जरूरी है. टीजीटी हिंदी की परीक्षा में कट ऑफ मार्क्स से कम अंक पाने वाले अभ्यर्थी की याचिका हाईकोर्ट ने खारिज की

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Aug 25, 2023, 7:37 AM IST

प्रयागराज:इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि अभ्यर्थियों की बड़ी संख्या को देखते हुए कट ऑफ मार्क्स ही एक ऐसा तरीका है, जिससे रिक्तियों के सापेक्ष अभ्यर्थियों की संख्या को एक सीमा में रखा जा सकता है. कोर्ट ने प्रशिक्षित स्नातक अध्यापक हिंदी (टीजीटी हिंदी) में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी आश्रित कोटे के तहत आवेदन करने वाली सामान्य वर्ग की अभ्यर्थी को कट ऑफ मार्क्स के आधार पर चयन सूची में स्थान न मिलने के खिलाफ दाखिल याचिका खारिज करते हुए यह आदेश दिया. सुप्रिया सिंह की याचिका पर न्याय मूर्ति विकास ने बुधवार ने सुनवाई की.

प्रशिक्षित स्नातक अध्यापक हिंदी के चयन में कट ऑफ मार्क्स पर इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court on Cut Off Marks) में याची का कहना था कि उसने टीजीटी हिंदी में सामान्य वर्ग के तहत स्वतंत्रता संग्राम सेनानी आश्रित कोटे से आवेदन किया था. लिखित परीक्षा 8 अगस्त 2021 को हुई, मगर याची को काउंसलिंग में नहीं बुलाया गया. कहा गया कि माध्यमिक शिक्षा बोर्ड चयन का यह कार्य अवैधानिक है. इसके जवाब में डिप्टी डायरेक्टर मध्यमिक प्रयागराज की ओर से हालकनामा दाखिल कर बताया गया कि याची को निर्धारित कट ऑफ अंक से कम अंक मिले थे, इसलिए वह चयन सूची और प्रतीक्षा सूची में स्थान नहीं बन सकी.

याची को 192.6248 अंक प्राप्त हुए, जबकि न्यूनतम कट ऑफ अंक 237.7072 चाहिए थे. यहां तक की प्रतीक्षा सूची में भी अंतिम अभ्यर्थी को 225.4120 अंक प्राप्त हुए हैं. कट ऑफ मार्क्स कम होने की वजह से याची को चयन सूची और प्रतीक्षा सूची में स्थान नहीं मिल सका. दूसरी ओर याची के अधिवक्ता का कहना था कि कट ऑफ मार्क का प्रावधान न तो विज्ञापन में ही रखा गया था और न ही रूल्स में ऐसा कोई प्रावधान है. इस पर कोर्ट का कहना था कि अभ्यर्थियों की बड़ी संख्या को देखते हुए कट ऑफ मार्क ही एक तरीका है, जिससे रिक्तियों के सापेक्ष अभ्यर्थियों की संख्या को सीमित किया जा सकता है. कोर्ट ने कम अंक पाने के आधार पर याचिका खारिज कर दी.

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