प्रयागराज: वकीलों को फर्जी मुकदमे में फंसा कर ब्लैकमेल किए जाने के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई को 5 और ऐसे मुकदमों की प्रारंभिक जांच का निर्देश दिया है. जबकि सीबीआई ने पूर्व में कोर्ट के निर्देश पर 47 मुकदमों की जांच कर चुकी है. इसके बाद अदालत ने 60 मुकदमों की जांच के लिए कहा था. सीबीआई के पास जांच अधिकारियों की कमी को देखते हुए उसने कोर्ट से अनुरोध किया है कि उसे सिर्फ गंभीर अपराधों की जांच की जिम्मेदारी ही दी जाए. जबकि लघु अपराधों की जांच यूपी पुलिस की एसआईटी से कराई जाए.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जिसे मंजूर करते हुए सीबीआई को 5 नए मुकदमों की जांच सौंपी है, जबकि यूपी एसआईटी को 8 मुकदमे जांच के लिए सौंपे हैं. यह सभी मुकदमे अधिवक्ताओं के खिलाफ दर्ज कराए गए हैं. निक्की देवी की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति गौतम चौधरी ने दिया है. सुनवाई के दौरान सीबीआई की ओर से कोर्ट द्वारा पारित 20 अक्टूबर 2022 के आदेश के परिपेक्ष में 47 मुकदमों की आरंभिक जांच रिपोर्ट पेश कर बताया गया कि इनमें से 12 मुकदमों के रिकॉर्ड कोर्ट में पेश किए गए हैं. जिसमें 12 मुकदमों में से 5 मुकदमों में अंतिम रिपोर्ट लग चुकी है. जबकि 7 मुकदमों में ट्रायल चल रहा है.
इसी प्रकार से सीबीआई ने बताया कि कोर्ट ने 60 और मुकदमों की जांच के लिए कहा था. मगर विभाग में जांच अधिकारियों की कमी के कारण सीबीआई को सिर्फ हत्या, दुष्कर्म और एससी एसटी जैसे गंभीर मुकदमों की जांच ही दी जाए. लघु अपराधों की जांच एसआईटी से करा दी जाए. सीबीआई ने कोर्ट से 10 जांच अधिकारियों जो कि डिप्टी एसपी या इंस्पेक्टर रैंक के नीचे के न हों की एक टीम यूपी पुलिस से दिलाए जाने का अनुरोध किया है.