प्रयागराज :रामपुर जिले के पनवडिया गांव के तालाब के सुंदरीकरण की योजना की उपयोगिता का परीक्षण किए बगैर 7 करोड़ 96 लाख 89 हजार (797.89 लाख) रुपये की योजना को मंजूरी और उसमें 3 करोड़ (300 लाख) की किश्त जारी कर हड़प कर छोटे अधिकारियों को बलि का बकरा बनाने पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अख्तियार किया है. कोर्ट ने इस मामले में ब्यूरोक्रेसी की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करते हुए नीचे से ऊपर तक के अधिकारियों की जवाबदेही तय करने के लिए एसआईटी गठित करने का निर्देश दिया है. आपको बता दें कि, जिस ये घोटाला हुआ था, उस समय प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार थी और आजम खान प्रदेश के शहरी विकास विभाग के मंत्री थे.
हाईकोर्ट ने इसके लिए प्रमुख सचिव शहरी योजना एवं विकास की अध्यक्षता में दो सदस्यीय टीम गठित की है. जिसमें डीआईजी मुरादाबाद को भी शामिल किया गया है. कोर्ट ने एसआईटी से प्रोजेक्ट का डीपीआर तैयार होने से लेकर योजना की मंजूरी देने और धन के खर्च के घपले की शुरुआत से अंत तक की जांच 6 माह में पूरीकरने का निर्देश दिया है. साथ ही कोर्ट ने 18 अक्टूबर को इस मामले में प्रगति रिपोर्ट देने को कहा है.
कोर्ट ने सरकारी धन की लूट पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि पहले अनुपयोगी योजना तैयार कर मंजूरी दी, फिर ब्लेम गेम करते हुए जांच बैठा कर चार छोटे अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराते हुए पल्ला झाड़ लिया. तीन करोड़ के स्कैम के जवाबदेह रामपुर और लखनऊ के बड़े अधिकारी भी हैं. साथ ही कोर्ट ने प्रोजेक्ट के कनिष्ठ अभियंता सरफराज फारूक की पुलिस रिपोर्ट पेश होने या 90 दिन के लिए अग्रिम जमानत मंजूर कर ली है.