प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि यदि वकील हड़ताल पर हों और वादकारी मौजूद हों तो पीठासीन अधिकारी केस की सुनवाई कर तय करने की कोशिश करें. कोर्ट ने जौनपुर, मछली शहर की राजस्व अदालत के वकीलों के रवैए की तीखी आलोचना की है. हाईकोर्ट ने तहसीलदार को म्यूटेशन वाद तय करने का निर्देश दिया. वकीलों की हड़ताल और पीठासीन अधिकारी के प्रशासनिक कार्य व्यस्तता के कारण तय नहीं हो सका तो दोबारा वाद तय करने के निर्देश जारी करने की मांग में याचिका दाखिल की गई. कोर्ट ने वकीलों को नसीहत दी और कहा पहले ही वाद तय करने का निर्देश दिया जा चुका है. याचिका खारिज कर दी.
कोर्ट ने कहा वाद तय करने के लिए निश्चित कार्य दिवस महत्वपूर्ण होता है. वकीलों की हड़ताल से कार्य दिवस नहीं मिल पाता. इस कारण से न्याय हित प्रभावित होता है. वकील फीस ले रहे हैं तो उन्हें काम भी करना चाहिए. वादकारी मौजूद हों तो पीठासीन अधिकारी को सुनवाई करनी चाहिए. कोर्ट ने आदेश की प्रति सभी बार एसोसिएशनों, उप्र बार काउंसिल, भारतीय बार काउंसिल, जिला जजों, मंडलायुक्तों और राजस्व परिषद को भेजने का निर्देश दिया है. कहा कि बार काउंसिल प्रस्ताव पारित कर वकीलों के लिए गाइडलाइंस जारी करें.
यह आदेश न्यायमूर्ति वीके बिड़ला ने गुरुदीन की याचिका पर दिया है. मालूम हो कि गुरुदीन बनाम राजबहादुर के बीच तहसीलदार मछली शहर की अदालत में 2018 से म्यूटेशन वाद चल रहा है. 20 मई 19 को हाईकोर्ट ने तहसीलदार को वाद निर्णीत करने का निर्देश दिया. कई बार सुनवाई की तारीख लगी किन्तु वाद तय नहीं हो सका. कोर्ट ने कहा था कि बेवजह स्थगित किए बगैर सुनवाई की जाए.