प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड रूरल टेक्नोलॉजी प्रयागराज के खिलाफ लंबित अवमानना याचिकाओं की सुनवाई जनवरी के दूसरे सप्ताह में करने का निर्देश दिया है. इस दौरान एकल पीठ के समक्ष लंबित याचिकाओं का 19 दिसंबर को निस्तारण करने का निर्देश दिया गया है. आईईआरटी की ओर से दाखिल विशेष अपील पर सुनवाई करते हुए कार्यवाहक मुख्य न्याय मूर्ति एमके गुप्ता और न्याय मूर्ति क्षितिज शैलेंद्र की खंडपीठ ने यह आदेश दिया.
खंडपीठ को अवगत कराया गया कि एकल पीठ द्वारा दिए गए आदेश का कई मामलों में अनुपालन कर दिया गया है. आईईआरटी का पक्ष रख रहे अधिवक्ता विभू राय ने खंडपीठ को बताया कि कोर्ट द्वारा मांगी गई सभी सूचनाओं को 19 दिसंबर को एकल पीठ में होने वाली सुनवाई से पहले हलफनामा के मार्फत दाखिल कर देंगे. इस आश्वासन के बाद कोर्ट ने कहा कि वह यथा स्थिति बहाल रखने के निर्णय में कोई हस्तक्षेप नहीं कर रहे हैं. साथ ही कोर्ट ने एकल न्याय पीठ से अनुरोध किया है कि वह 19 दिसंबर को उनके समक्ष लंबित याचिकाओं का निस्तारण करें.
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हाईकोर्ट ने इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड रूरल टेक्नोलॉजी प्रयागराज आईईआरटी के कर्मचारियों की बर्खास्तगी और डिस्चार्ज नोटिस जारी करने के आदेश पर रोक लगा दी थी. साथ ही संबंधित पक्षों से जवाब मांगा था. कोर्ट ने संस्थान में विभिन्न पाठ्यक्रमों में रिक्त पदों और वित्त पोषित पाठ्यक्रमों में रिक्त पदों का विवरण भी प्रस्तुत करने के लिए कहा था. इस आदेश के बाद भी आईआईटी ने कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया तो, कर्मचारियों ने हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल कर दी. इसके बाद आईआईटी ने कई बर्खास्त कर्मचारियों को वापस काम पर रख लिया. जबकि कई अन्य की और अवमानना याचिकाएं अभी लंबित है.
आईईआरटी की ओर से इस मामले में विशेष अपील दाखिल की गई है. जिसकी सुनवाई के दौरान कोर्ट को यह जानकारी दी गई की एकल न्याय पीठ के आदेश का पालन कर दिया गया है. जिस पर कोर्ट ने अन्य लंबित और अवमानना याचिकाओं की सुनवाई जनवरी के दूसरे सप्ताह में करने का निर्देश देते हुए एकल न्याय पीठ के समक्ष लंबित याचिकाओं का निस्तारण करने के लिए कहा है.
याची गण का कहना है कि वह 1990 के पहले से संस्थान में कार्य कर रहे हैं. उनकी नियुक्ति संविदा के आधार पर की गई है. वह नियमित होने और नियमित वेतन पाने के हकदार हैं. लेकिन, संस्थान में उनका अनुबंध समाप्त करते हुए सभी को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है. संस्थान कर्मचारियों के साथ नया अनुबंध करना चाहता है. जिसके जरिए नए कर्मचारियों की भर्ती करने की योजना है. इस मामले में हाईकोर्ट ने एक याचिका में बर्खास्तगी आदेश पर रोक लगा रखी है.