प्रयागराज :इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नाबालिग लड़की से दुष्कर्म व हत्या के आरोपी नाजिल की फांसी की सजा रद्द कर दी है. कोर्ट कहा- अभियोजन संदेह से परे अपराध साबित करने में विफल रहा है. बिना सबूतों की सत्यता की जांच किए आरोपियों को सजा सुना दी गई. यह आदेश न्यायमूर्ति मनोज मिश्र तथा न्यायमूर्ति समीर जैन की खंडपीठ ने सजा के खिलाफ दाखिल अपील को स्वीकार करते हुए दिया है.
मृतका के शरीर पर आरोपी के सीमेन आदेश की फोरेंसिक या मेडिकल जांच नहीं कराई गई, जिससे आरोप साबित किया जा सकता. लाश से कई अंग नदारद थे. अभियुक्त के अपराध स्वीकार करने के अलावा ऐसा कोई सबूत नहीं मिला जिससे अपराध सिद्ध होता. विचारण न्यायालय भी अभियोजन पक्ष के सबूतों की विश्वसनीयता की परख करने में विफल रहा.
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दरअसल, 7 मई 19 को 6 वर्ष की बच्ची लापता हो गई थी. 22 जून को निर्माणाधीन इमारत में लाश पायी गई, जो कंकाल में तब्दील हो गई थी. कपड़े गंदे हो गये थे. एनकाउंटर में अपीलार्थी को गिरफ्तार किया गया. उसे गोली लगी थी. अस्पताल में भर्ती था.
आखिरी बार मृतका के साथ देखे जाने का कोई साक्ष्य मौजूद नहीं है. 45 दिन तक परिवार ने भी संदेह नहीं किया. सत्र अदालत ने दोषी करार देते हुए फांसी की सजा सुनाई थी. हाईकोर्ट ने फांसी की सजा की पुष्टि करने से इंकार करते हुए, अपीलार्थी को सभी आरोपों से बरी कर दिया है.