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नाबालिग अनुसूचित जाति की लड़की से दुराचार के आरोपी को मिली जमानत - प्रयागराज की ताजा खबर

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नाबालिग अनुसूचित जाति की लड़की से दुराचार करने के आरोपी की जमानत की अपील मंजूर कर ली है. कोर्ट ने आरोपी को सशर्त जमान पर रिहा करने का निर्देश दिया है.

allahabad high court
इलाहाबाद हाईकोर्ट.

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Published : Jun 21, 2021, 2:08 PM IST

प्रयागराज:इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एससी/एसटी एक्ट व पॉक्सो एक्ट सहित दुराचार के आरोपी की अपील मंजूर कर ली है. कोर्ट ने उसे सशर्त जमानत पर रिहा करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा कि तीन सह अभियुक्तों को पहले से जमानत मिल चुकी है और याची साढ़े तीन साल से जेल में बंद है. मेडिकल जांच रिपोर्ट व पीड़िता के बयान मेल नहीं खाते. ऐसे में याची जमानत पाने का हकदार है. कोर्ट ने अधीनस्थ अदालत के आदेश को रद्द कर दिया है.

यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज भाटिया ने शिव राम की अपील पर दिया है. अपीलार्थी के अधिवक्ता आरबी कनहरे ने बहस की. इनका कहना था कि पीड़िता के पिता ने 28 जनवरी 2017 को आगरा के एत्माद्दौला थाने में पवन पर अपने बेटी को 12 जनवरी को भगा ले जाने और साथियों के साथ गुड़गांव में सामूहिक बलात्कार करने का आरोप लगाया था. 27 जनवरी को बरामदगी के बाद एफआईआर दर्ज कराई गई.

पीड़िता ने अपने बयान में सह अभियुक्तों पवन, प्रेम सिंह व विक्रान्त पर दुराचार का आरोप नहीं लगाया, किन्तु अपीलार्थी पर दुराचार करने का आरोप लगाया. मेडिकल जांच रिपोर्ट में दुष्कर्म को नकार दिया गया है. तीनों सह अभियुक्त जमानत पर हैं. कोर्ट ने याची को भी सशर्त जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है.

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लिव इन में रह रहे जोड़े को सुरक्षा देने का दिया निर्देश

इसके पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने एक आदेश में लिव इन रिलेशनशिप में रह रहे बालिग युगल को सुरक्षा प्रदान करने का निर्देश दिया था. कोर्ट ने कहा था कि इससे पहले हमने लिव-इन-रिलेशन में रह रहे एक युगल की याचिका खारिज कर दी थी क्योंकि उनमें एक याची पहले से विवाहित थी. कोर्ट ने कहा कि हम लिव-इन-रिलेशनशिप के विरुद्ध नहीं हैं.

न्यायमूर्ति डॉ. केजे ठाकुर एवं न्यायमूर्ति दिनेश पाठक की खंडपीठ ने यह आदेश लिव-इन-रिलेशनशिप में रह रहे बालिग युगल की याचिका पर दिया. साथ ही पुलिस को याचियों को सुरक्षा प्रदान करने का निर्देश देते हुए कहा कि वे लिव-इन-रिलेशनशिप में थे, लेकिन बाद में उन्होंने एक-दूसरे से शादी कर ली. इसलिए सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पूर्व में दिए गए आदेशों के मद्देनजर वे सुरक्षा के हकदार हैं.

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