प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट की 8 मई से खुली अदालत में मुकदमों की सुनवाई की. घोषणा से जिस तरह वकीलों में उत्साह देखा जा रहा है, इसने तमाम अधिवक्ता संगठनों और अधिवक्ताओं को बेचैन कर दिया है. कहीं अति उत्साही अधिवक्ता भारी संख्या में न्यायालय परिसर के बाहर इकट्ठा न हो जाए और शराब की दुकानों के खोलने से उत्पन्न स्थिति का सामना न्यायालय प्रशासन को न करना पड़ जाए, इसके लिए न्यायालय प्रशासन को सुनवाई प्रक्रिया और स्थिति को स्पष्ट करने पर बार संगठनों ने सुझाव दिया है.
यंग लायर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष संतोष कुमार त्रिपाठी ने महानिबंधक से अनुरोध किया है कि 8 मई को केवल उन्हीं वकीलों को परिसर में प्रवेश की अनुमति दे, जिनके मुकदमे कोर्ट में लगे हों. वकीलों के चेम्बर्स हर हाल में बंद रखे जाए. अधिवक्ता समन्वय समिति के अध्यक्ष बीएन सिंह कहते हैं कि न्यायालय प्रशासन न्यायिक कार्य प्रणाली और व्यवस्था योजना को सार्वजनिक कर उस पर कड़ाई से अमल कराये.
सीमित संख्या में ही मुकदमे लिस्ट किये जाए
कांस्टीट्यूशनल एण्ड सोशल रिफार्म के अध्यक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता एएन त्रिपाठी का कहना है कि मुकदमों की सुनवाई खुली अदालत में की जाए और प्रत्येक अदालत एक दूसरे से सौ मीटर दूर रखा जाए. सीमित संख्या में ही मुकदमे लिस्ट किये जाए, जिनके मुकदमे लगे हो उनके वकील को एक दिन पहले एसएमएस से ब्यौरा सूचित किया जाए, ताकि वह सीधे संबंधित कोर्ट में पहुंच कर बहस के बाद अपने घर वापस आ जाए.
तीन सीट के गैप से अधिवक्ता के बैठने की हो व्यवस्था
बार एसोसिएशन के 11 बार उपाध्यक्ष रहे अधिवक्ता एसके गर्ग का कहना है कि कोर्ट के भीतर तीन सीट के गैप से अधिवक्ता को बैठने की व्यवस्था की जाए. ताकि केस की पुकार हटाने पर वह बहस के लिए उपस्थित हो सके. केवल याची और विरोधी अधिवक्ता के ही न्याय कक्ष में प्रवेश की अनुमति से कोर्ट के बाहर बरामदे वकीलों से भर जाएंगे, जो पुलिस से नियंत्रित नहीं हो सकेगा और योजना को विफल कर देगा.
पक्षों को सुनकर आदेश पारित किया जाए
केंद्र सरकार के अधिवक्ता राजेश त्रिपाठी का कहना है कि केन्द्र सरकार के खिलाफ मुकदमे की सुनवाई की सूचना एएसजीआई को दी जाए, ताकि वह पैनल अधिवक्ता को कोर्ट में जाने के लिए निर्देशित कर सके और पक्षों को सुनकर आदेश पारित किया जाए. ऐसे विपक्षी वकीलों को भी कोर्ट में प्रवेश की अनुमति दी जाए. आदर्श अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष एससी मिश्र और प्रयागराज अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष नरेन्द्र कुमार चटर्जी ने संयुक्त रूप से कहा है कि विभागीय अधिवक्ता सूचना के अभाव में कोर्ट में नहीं पहुंच पाते तो याचिका एक पक्षीय तय न की जाए. प्राधिकरणों, बीमा कंपनियों, स्थानीय निकायों ,स्वायत्त संस्थानो,विभागों के अधिवक्ताओं को याचिका पर अपना पक्ष रखने का अवसर दिया जाए.