प्रयागराज: प्रदेश के मुख्य सचिव के शादी या विवाह की अनुमति लेने की बाध्यता के आदेश को इलाहाबाद हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता ए.एन त्रिपाठी ने गैरकानूनी, धार्मिक अधिकारों एवं व्यक्तिगत स्वतंत्रता अधिकारों का हनन करार देते हुए मुख्यमंत्री से ऐसे आदेश को वापस लेने की मांग की है.
कांस्टीट्यूशनल एण्ड सोसल रिफॉर्म के राष्ट्रीय अध्यक्ष ए.एन त्रिपाठी ने कहा है कि शादी के लिए अनुमति लेने का मुख्य सचिव द्वारा 23 नवंबर 2020 को जारी आदेश कानून नहीं है. यह केंद्र सरकार के 30 सितंबर 2020 के कोविड-19 दिशा-निर्देशों के प्रतिकूल है. राज्य सरकार बिना शासनादेश जारी किये धार्मिक समारोह के आयोजन पर शर्तें नहीं लगा सकती है.
ए.एन त्रिपाठी ने कहा कि संविधान का अनुच्छेद-25 धर्म की स्वतंत्रता देता है. अनुच्छेद 26 धार्मिक परंपरा के अनुसार समारोह की अनुमति देता है. अनुच्छेद-21 जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार देता है. राज्य सरकार को संवैधानिक अधिकारों में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है.