उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

ETV Bharat / state

68500 सहायक अध्यापक भर्ती मामला: दो माह में नियुक्ति प्रक्रिया पूरी करने का निर्देश - इलाहाबाद हाईकोर्ट आज की खबर

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 68500 सहायक अध्यापक भर्ती में एमआरसी अभ्यर्थियों के मामले में एकल पीठ के निर्णय पर हस्तक्षेप से इंकार कर दिया है. कोर्ट ने बेसिक शिक्षा परिषद से कहा है कि मेरिट में ऊपर होने के कारण सामान्य वर्ग में चयनित आरक्षित श्रेणी के मेधावी अभ्यर्थियों (एमआरसी) को दो माह में उनकी प्राथमिकता का जिला आवंटित किया जाय.

68500 सहायक अध्यापक भर्ती मामला
68500 सहायक अध्यापक भर्ती मामला

By

Published : Sep 14, 2021, 10:54 PM IST

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 68500 सहायक अध्यापक भर्ती में एमआरसी अभ्यर्थियों के मामले में एकल पीठ के निर्णय पर हस्तक्षेप से इंकार कर दिया है. बेसिक शिक्षा परिषद से कहा है कि मेरिट में ऊपर होने के कारण सामान्य वर्ग में चयनित आरक्षित श्रेणी के मेधावी अभ्यर्थियों (एमआरसी) को दो माह में उनकी प्राथमिकता का जिला आवंटित किया जाय. कोर्ट ने सामान्य वर्ग में ऊंची मेरिट के अभ्यर्थियों को भी उनकी पसंद के तीन प्राथमिकता वाले जिलों में से किसी एक में पद रिक्त होने पर नियुक्ति देने का निर्देश दिया है.

यह आदेश कार्यवाहक मुख्य न्यायमूर्ति एमएन भंडारी एवं न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल की खंडपीठ ने अमित शेखर भारद्वाज सहित सैकड़ों अभ्यर्थियों की दर्जनों विशेष अपीलों पर सुनवाई करते हुए दिया है. अपीलों पर वरिष्ठ अधिवक्ता आर के ओझा व अशोक खरे, सहित कई वकीलों ने बहस की. अपीलों में एकल पीठ के आदेश को चुनौती देते हुए कहा गया कि बोर्ड ने रिक्तियों की संख्या 68500 से घटाकर 41556 कर दी और चयनित अभ्यर्थियों की दो चरणों में काउंसलिंग कराई गई. पहले चरण में 35420 अभ्यर्थियों की काउंसलिंग हुई जबकि दूसरे चरण में 6136 की काउंसलिंग की गई. दूसरी काउंसिलिंग की मेरिट में नीचे रहने वाले अभ्यर्थियों को उनकी प्राथमिकता वाले जिले आवंटित कर दिए गए, जबकि पहली काउंसलिंग में शामिल अधिक मेरिट वाले अभ्यर्थियों को उनकी प्राथमिकता का जिला नहीं दिया गया, जो भेदभावपूर्ण है.

अधिवक्ताओं का कहना था कि जब चयन प्रक्रिया एक ही होने पर बोर्ड विज्ञापित पदों को घटा नहीं सकता और चयन प्रक्रिया को दो हिस्सों में नहीं बांटा जा सकता. कहा गया कि बोर्ड ने मनमाने तरीके से शासनादेश के विपरीत जिलावार रिक्तियों की संख्या घटा दी और एस्पिरेशन वाले जिलों फतेहपुर, चंदौली, सोनभद्र, सिद्धार्थनगर, चित्रकूट धाम, बलरामपुर, बहराइच, श्रावस्ती में रिक्तियों की संख्या को बढ़ा दी, लेकिन इन जिलों में पद खाली रह गए, क्योंकि दूसरी काउंसलिंग में शामिल अभ्यर्थियों को उनकी प्राथमिकता वाले जिले आवंटित कर दिए गए थे.

एकल पीठ ने मेरिट में ऊपर होने के कारण सामान्य वर्ग में चयनित किए गए ओबीसी अभ्यर्थियों को आरक्षित श्रेणी का मानकर प्राथमिकता वाले जिले आवंटित करने का निर्देश दिया. इसके विरुद्ध अपील करने वाले सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों का कहना था कि यह भेदभावपूर्ण है, क्योंकि यदि आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थियों को सामान्य वर्ग में चयनित कर लिया गया है और उन्हें प्राथमिकता वाला जिला आवंटित किया जा रहा है तो सामान्य वर्ग में उनसे मेरिट में ऊपर अभ्यर्थियों को भी प्राथमिकता वाला जिला पाने का अधिकार है.

खंडपीठ ने सुनवाई के बाद पक्षकारों की आपसी सहमति के आधार पर निर्णय दिया कि जो चयनित अभ्यर्थी पहले से नियुक्ति पा चुके हैं, चाहे वह किसी भी वर्ग के हैं और काम कर रहे हैं, उन्हें उन्हीं स्थानों पर काम करने दिया जाएगा. कोर्ट ने एमआरसी अभ्यर्थियों के संबंध में एकल पीठ के आदेश पर हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए कहा कि याचिका करने वाले जिन एमआरसी अभ्यर्थियों को उनकी प्राथमिकता वाले जिले नहीं आवंटित किए गए हैं, वे दो माह में बोर्ड को प्रत्यावेदन देंगे और बोर्ड एकल पीठ के फैसले के अनुसार उन्हें उनकी पसंद के जिले में दो माह में नियुक्ति देगा.

इसे भी पढ़ें-बुलडोजर VS एके-47: अखिलेश अपना चुनाव निशान AK-47 रख लें: केशव प्रसाद मौर्य

खंडपीठ ने यह भी कहा कि आदेश सिर्फ अपील में शामिल अभ्यर्थियों पर ही लागू होगा जिनकी याचिकाएं एकल पीठ द्वारा स्वीकार की गईं. इसी प्रकार सामान्य वर्ग के अभ्यर्थी अपनी पसंद के तीन जिलों का विकल्प बोर्ड को देंगे और बोर्ड उन्हें उनमें से किसी एक जिले में पद रिक्त होने की दशा में नियुक्ति देगा.

ABOUT THE AUTHOR

...view details