प्रयागराज: नैनी सेंट्रल जेल में मोबाइल के इस्तेमाल को पूरी तरह से रोक लगाने के लिए जेल प्रशासन ने अनोखी पहल की है. नैनी सेंट्रल जेल के वरिष्ठ अधीक्षक पीएन पांडेय ने जेल को मोबाइल मुक्त बनाने के लिए एक स्कीम शुरू की है, जिसके तहत जेल में मोबाइल का इस्तेमाल करने वालों के बारे में जानकरी देकर मोबाइल पकड़वाने वाले को इनाम दिया जाएगा, जिसके बाद इस योजना के तहत 32 मोबाइल फोन बरामद हो चुके हैं.
नैनी सेंट्रल जेल बंद अपराधी और माफिया लगातार मोबाइल फोन का इस्तेमाल कर रहे थे, जिसकी जानकारी मिलने के बाद जेल प्रशासन समय समय पर छापेमारी कर मोबाइल फोन बरामद करने का अभियान भी चल रहा था.लेकिन उसके बावजूद जेल में लगातार मोबाइल के इस्तेमाल की जानकारी मिल रही थी. तमाम कोशिशों के बावजूद जेल में मोबाइल के इस्तेमाल को पूरी तरह से रोकने में नाकाम रहे, जिसके बाद जेल के वरिष्ठ अधीक्षक ने एक योजना शुरू की तो जेल के बंदियों और बंदी रक्षकों ने ही मोबाइल पकड़वाने का काम शुरू कर दिया.
वरिष्ठ जेल अधीक्षक की योजना पर हुआ काम
वरिष्ठ जेल अधीक्षक पीएन पांडेय ने जेल में चल रहे मोबाइल पकड़ने के लिए स्कीम बनाई है,जिसमें जेल के सुरक्षा कर्मियों के साथ ही बंदियों से मोबाइल का पता बताने पर इनाम देने की बात कही गई है. इसके साथ ही उन्होंने भरोसा भी दिया कि मोबाइल पकड़वाने वाले बंदियों की जानकारी गुप्त रहेगी. वहीं मोबाइल का पता बताने के बदले उन्हें पुरस्कार भी दिया जाएगा.जेल में शुरू की गई मोबाइल पकड़वाओ इनाम पाओ स्कीम शुरू होने के बाद जल्द ही उसके बेहतर नतीजे देखने को मिले. एक एक कर सूचनाओं के आधार पर जेल के अंदर से एक दो नहीं बल्कि अभी तक 32 मोबाइल फोन बरामद किए जा चुके हैं. लगातार मोबाइल की रिकवरी होने से जेल प्रशासन उत्साहित है.
नैनी सेंट्रल जेल के वरिष्ठ अधीक्षक पीएन पांडेय ने जेल को मोबाइल मुक्त बनाने के लिए एक स्कीम शुरू की है उनका कहना है कि जिस तरह से उनकी स्कीम काम कर रही है.उसके नतीजों से ऐसा लगता है कि जल्द ही जेल के अंदर चलने वाले कोई और मोबाइल होंगे तो वे भी पकड़े जा सकेंगे. उन्हें उम्मीद है कि अगर जेल में कोई भी अपराधी मोबाइल चला रहा है तो उसकी भी जनाकरी उन तक जल्दी पहुंच जाएगी, जिसके बाद उनकी टीम उन मोबाइल को भी बरामद करके जेल को पूरी तरह से मोबाइल मुक्त बना सकेगी.
मोबाइल पकड़वाओ इनाम पाओ
इस योजना के तहत जेल के अंदर तैनात सुरक्षा कर्मियों को पुरस्कृत करने के साथ ही उन्हें बेहतर तैनाती दी जाती है. साथ ही बंदियों को पुरस्कार स्वरूप जेल प्रशासन उस तरह की सुविधाएं देता है जो जेल के नियमानुसार जेल प्रशासन को प्राप्त है. जेल के वरिष्ठ अधीक्षक का कहना है जेल में जो भी मोबाइल चल रहे हैं उनका पता लगाकर जेल को मोबाइल फ्री बनाना है, जिससे कि जेल के अंदर से कोई भी माफिया अपने गुर्गों के साथ मिलकर किसी तरह की वारदात को अंजाम देने की ना तो साजिश रच सके और न ही किसी तरह का निर्देश दे सके.
इस योजना के तहत जेल के अंदर तैनात सुरक्षा कर्मियों को पुरस्कृत करने के साथ ही उन्हें बेहतर तैनाती दी जाती है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश का सख्ती से पालन कर रहा है जेल प्रशासननैनी सेंट्रल जेल के वरिष्ठ अधीक्षक पीएन पांडे का कहना है कि सीएम योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश भर की जेलों को अपराधियों की आरामगाह न बनने देने का निर्देश दिया है, जिसके तहत जेल में बंद कैदियों के साथ एक समान बर्ताव किया जा रहा है. जेल में पहुंचे कैदियों के साथ उसी तरह का व्यवहार किया जा रहा है, जैसा जेल के कानून में है. जेल मैन्युअल के अनुसार सभी बंदियों के साथ एक समान व्यवहार भी किया जा रहा है. सभी को खाने पीने और रहने की समान सुविधाएं दी जा रही है. किसी भी बंदी के साथ जेल के अंदर वीआईपी बर्ताव नहीं होने दिया जा रहा है.
बंदी भी मोबाइल पकड़वाने में पीछे नहींसुरक्षा कर्मियों के साथ ही जेल के अंदर सजा काट रहे बंदियों ने भी मोबाइल पकड़वाने में मदद की, जिसके बदले उन सभी को जेल प्रशासन की तरफ से पुरस्कार दिया जा रहा है. पिछले कुछ सालों से नैनी जेल अपराधियों की आरामगाह बना हुआ था. जेल के अंदर से मोबाइल फोन के इस्तेमाल की जानकारियां हमेशा बाहर आती थी. जेल के अंदर की गई पार्टी और जेल में ली गई तस्वीरों के सोशल मीडिया के जरिये बाहर आने के मामले भी सामने आए थे. जून 2020 में जेल अधीक्षक का पद संभालने वाले पीएन पांडेय का कहना है कि वो इस जेल को प्रदेश की एक आदर्श जेल बनाने के मकसद के साथ काम कर रहे हैं.
जेल के अंदर से एक दो नहीं बल्कि अभी तक 32 मोबाइल फोन बरामद किए जा चुके हैं. वरिष्ठ जेल अधीक्षक पीएन पांडे के मुताबिक जेल में बंद शातिर अपराधी गहरे गड्ढे खोदकर उसके अंदर मोबाइल छुपाते रहे हैं, जिस वजह से मिट्टी के अंदर गड्ढे करके छिपाए गए मोबाइल का पता लगा पाना चेकिंग के दौरान भी मुश्किल होता था, जिसके बाद उन्होंने जो योजना शुरू की.उसके जरिए जेल के अंदर के बंदी से लेकर बंदी रक्षक तक सभी जानकारी देकर मोबाइल पकड़वा रहे हैं. उन्होंने इसके लिए जेल में एक मोबाइल सुझाव पेटिका भी चलाई हैं, जिसकी चाबी सिर्फ उनके पास रहती है और उसे सिर्फ वही खोलकर उसमें मिली चिट्ठियों को पढ़ते हैं, जिसके जरिए कई बार उन्हें मोबाइल छिपाने की लोकेशन मिल चुकी है. उन्होंने बंदियों में यह विश्वास जगाया कि मोबाइल पकड़वाने वाले का नाम गोपनीय रखा जाएगा, जिसके बाद कई बंदियों ने बैरक में माफियाओं द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले मोबाइल की जनाकरी देकर उसे बरामद करवाया है.