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Ramcharitmanas Controversy: सपा विधायक ने स्वामी प्रसाद का किया समर्थन, कहा- तुलसीदास को सिलेबस से हटा देना चाहिए

बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर और यूपी के सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के बाद अब प्रतापगढ़ जनपद के रानीगंज विधानसभा (Raniganj Assembly) के सपा विधायक आरके वर्मा (SP MLA RK Verma) ने रामचरित मानस के विवादित चौपाइयों को हटाए जाने की मांग की है.

Raniganj Assembly
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Published : Jan 30, 2023, 7:37 PM IST

प्रतापगढ़ःबिहार से शुरू हुए रामचरितमानस की चौपाइयों पर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर और उत्तर प्रदेश के सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के बाद अब प्रतापगढ़ के रानीगंज विधानसभा से सपा विधायक आरके वर्मा ने भी श्रीरामचरित मानस की चौपाइयों को लेकर एक विवादित ट्वीट कर दिया है. जिसको लेकर अब हंगामा शुरू हो गया है. आर के वर्मा ने स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान का समर्थन करते हुए रामचरितमानस विवादित चौपाइयों को हटाने के साथ तुलसीदास को सिलेबेस से हटाने की मांग की है.

सपा विधायक आरके वर्मा

रानीगंज विधानसभा क्षेत्र से सपा विधायक आरके वर्मा ने ट्वीट करते हुए लिखा "तुलसीदास भेदभाव, ऊंचनीच, छुआछूत, गैरबराबरी की मानसिकता से ग्रसित कवि थे. जिनकी रामचरित मानस की अनेको चौपाइयां जो संविधान विरोधी हैं. उससे आज का पिछड़ा, अनुसूचित, महिला व संत समाज अपमानित होता है. ऐसी चौपाइयों को हटाने के साथ तुलसीदास को छात्रों के पाठ्यक्रम से हटाया जाना चाहिए. विधायक आरके वर्मा ने रामचरितमानस से उन चौपाइयों को हटाने की मांग की है. जिसपर एक जाति विशेष को आपत्ति है. इतना ही नहीं उन्होंने कहा है कि स्कूलों में पाठ्यक्रम से तुलसीदास को हटाया जाना चाहिए.'बता दें कि पूर्व मंत्री एवं सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने बीते दिनों कहा था कि कई करोड़ लोग रामचरित मानस को नहीं पढ़ते हैं, ये सब बकवास है. यह तुलसीदास ने अपनी खुशी के लिए लिखा है. उन्होंने कहा था कि सरकार को इसका संज्ञान लेते हुए रामचरित मानस से जो आपत्तिजनक अंश है. उसे बाहर कर देना चाहिए या इस पूरी पुस्तक को ही बैन कर देना चाहिए. स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि तुलसीदास की रामचरितमानस में कुछ अंश ऐसे हैं, जिनपर हमें आपत्ति है. क्योंकि किसी भी धर्म में किसी को भी गाली देने का कोई अधिकार नहीं है.

बिहार से शुरू हुआ था विवाद:गौरतलब है कि बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने 11 जनवरी को तुलसीदास की रामचरित मानस को समाज में नफरत फैलाने वाला बताया था. उन्होंने कहा था कि 'मनुस्मृति में समाज की 85 फीसदी आबादी वाले बड़े तबके के खिलाफ गालियां दी गई हैं. रामचरित मानस के उत्तर कांड में लिखा है कि नीच जाति के लोग शिक्षा ग्रहण करने के बाद सांप की तरह जहरीले हो जाते हैं. यह नफरत को बोने वाले ग्रंथ हैं. एक युग में मनुस्मृति, दूसरे युग में रामचरित मानस, तीसरे युग में गुरु गोवलकर का बंच ऑफ थॉट है. ये सभी देश को, समाज को नफरत में बांटते हैं. नफरत देश को कभी महान नहीं बनाएगी. देश को महान केवल मोहब्बत ही बनाएगी.'

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