प्रतापगढ़:आज पूरा देश वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के संक्रमण से जूझ रहा है. शासन-प्रशासन लोगों को बचाने में लगा हुआ है. इसी बीच नगर पालिका प्रतापगढ़ ने 84 मकान मालिकों को नोटिस भेजा है कि वे आपने मकान ठीक करा लें या उन्हें जमींदोज कर दें. पालिका ने यह भी कहा है कि अगर मकान ठीक हो सकते हैं तो उन्हें सही करा लिया जाए, नहीं तो नगर पालिका खुद अभियान छेड़कर ऐसे मकानों को गिरा देगी.
खौफ के साए में जिंदगी
शहर के इन 84 मकानों की हालत बेहद जर्जर है, जिससे यहां कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है. हालांकि नगर पालिका इस तरह की नोटिस हर बार देती है लेकिन कोई कार्रवाई नहीं करती. जर्जर मकानों में रहने वाले लोग हमेशा खौफ और दहशत में रहते हैं. इन मकानों के नीचे सालों से व्यावसायिक प्रतिष्ठान चल रहे हैं. ऐसे में कोई हादसा हुआ तो स्थिति भयानक होगी. दिल्ली और मुम्बई जैसे महानगरों में जर्जर मकानों के गिरने से कई बड़े हादसे हो चुके हैं.
सैकड़ों साल पुराने हैं मकान
प्रतापगढ़ शहर के बीचों बीच चौक, घंटाघर, अस्पताल रोड और विवेकनगर में सैकड़ों साल पुराने मकान मौजूद हैं. सड़क किनारे मौजूद इन मकानों के नीचे तमाम दुकानें बनी हुई हैं. दुकानदार और इन मकानों में रहने वाले लोग आंधी, तूफान और तेज बरसात के समय दहशत में रहते हैं कि कहीं मकान गिर न जाए.
'पैसे नहीं, कैसे बनाएं नई बिल्डिंग'
मकान मालिकों से जब जानकारी ली जाती है तो उनका कहना होता है कि उनके पास इतने पैसे नहीं है कि बिल्डिंग गिराकर नई बिल्डिंग बनाएं. पुराने और अंग्रेजी शासन काल में बने तमाम मकान बड़ी दुर्घटना को दावत दे रहे हैं. आस-पास आने जाने वाले भी डरे होते हैं. चूना-मिट्टी के बने इन मकानों की उम्र समाप्त हो गई है. ऊपर से ये अब खंडहर में भी तब्दील हो गए हैं.