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प्रतापगढ़: पुलिस का कारनामा, विदेश में बैठे मरीन इंजीनियर को बना दिया अपराधी

जिले में पुलिस का बड़ा ही चौकाने वाला कारनामा सामने आया है. मामला आसपुर देवसरा थाने का है, जहां के इंस्पेक्टर ने एक मरीन इंजीनियर सभाजीत यादव को अपराधी बना डाला. उस इंजीनियर का जुर्म इतना था कि उसने इलाके में गांजा, अफीम से बर्बाद हो रहे लोगों को बचाने के लिए पुलिस से फोन पर फरियाद की थी.

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सभाजीत यादव, मरीन इंजीनियर

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Published : Oct 16, 2020, 12:23 PM IST

प्रतापगढ़: प्रतापगढ़ पुलिस अपने काम के लिए कम कारनामों के लिए अधिक जानी जाती है. आसपुर देवसरा थानेदार ने विदेश में बैठे चीफ इंजीनियर पर ही गंभीर धाराओं में मामला दर्ज कर दिया. उस इंजीनियर का जुर्म इतना था कि उसने इलाके में गांजा, अफीम से बर्बाद हो रहे लोगों को बचाने के लिए पुलिस से फोन पर फरियाद की थी. इतने में ही थानेदार नाराज हो गए और इंजीनियर को जम कर बेइज्जत किया. जिसका ऑडियो भी वाइरल हुआ था. पुलिस ने इस मामले में मरीन इंजीनियर पर दो मुकदमें दर्ज किए हैं. मामले में फर्जी मुकदमा लिखने से अब पुलिस अपने आपको बचाने में लगी है. वहीं पुलिस की जिले भर में किरकिरी भी हो रही है. मामला अब शासन के संज्ञान में भी आ गया है.

वायरल ऑडियो.


जानिए मरीन इंजीनियर सभाजीत यादव के बारे में
सभाजीत यादव S/O रामयश यादव, प्रतापगढ़ जिले में पट्टी तहसील के आसपुर देवसरा थाना क्षेत्र के कोपा गांव के मूल निवासी हैं. पिछले 25 वर्ष से मर्चेंट नेवी में कार्यरत हैं. 10 वर्ष से वह चीफ इंजीनियर के पद पर भारत के विभिन्न नवरत्न कंपनियों भारतीय नौवहन निगम, ओएनजीसी इत्यादि में काम कर चुके हैं और पिछले 6 माह से यूनाइटेड अरब अमीरात के सरकारी प्रोजेक्ट में चीफ इंजीनियर के पद पर काम कर रहे हैं.

आसपुर देवसरा पुलिस ने क्या किया
20 सितंबर 2020 को चीफ इंजीनियर सभाजीत यादव पर दो एफआईआर दर्ज की गईं. पहला–धारा 147, 323, 507, 504, 3(1)एससी/एसटी एक्ट के तहत और दूसरा-धारा 420, 505, 66 के अंतर्गत. 21 सितंबर को पाबंद करने की कार्रवाई करते हुए सीआरपीसी की धारा 107/116 का मामला पंजीबद्ध किया गया.

बडे़ साहब नाराज क्यों हुए?
दरअसल 16 सितंबर 2020 को मरीन इंजीनियर सभाजीत यादव ने पुलिस अधीक्षक अनुराग आर्य के सीयूजी नंबर 9454400300 पर फोन किया. सीयूजी फोन को पुलिस अधीक्षक के सहायक ने रिसीव किया. मरीन इंजीनियर सभाजीत ने फोन पर जानकारी दी कि उनके इलाके में गांजा अफीम की तस्करी हो रही है. इलाके के युवा बर्बाद हो रहे हैं. इसमें कई बड़े लोग शामिल हैं. ऐसे लोगों पर कार्यवाही करें जिससे लोग बर्बाद होने से बच जाएं. पुलिस अधीक्षक के सीयूजी नंबर पर गांजा तस्करी की जानकारी देने के थोड़ी ही देर बाद तस्कर मरीन इंजीनियर के मोबाइल नंबर पर फोन करके धमकी देने लगे. इंजीनियर सभाजीत ने फिर पुलिस अधीक्षक को फोन किया और कहा कि आपने मेरा नंबर तस्करों को क्यों दे दिया? जवाब में पुलिस अधीक्षक ने कहा कि उन्होंने नंबर किसी तस्कर को नहीं दिया है. नजदीकी थाना में इत्तला कर दिया है वह लोग उस पर कार्यवाही करेंगे.
इसके बाद मरीन इंजीनियर ने आसपुर देवसरा थाना के इंस्पेक्टर सुनील सिंह को सीयूजी नंबर पर फोन किया. इंस्पेक्टर सुनील सिंह से पूछा कि मेरा नंबर और मेरा नाम तस्कर को क्यों बताया. तस्कर पर कार्रवाई के बजाय सभाजीत पर कार्रवाई शुरू हो गई. देश की सेवा कर रहे मरीन इंजीनियर द्वारा दी गयी जानकारी पर तस्कर के खिलाफ किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं की गयी. उल्टे इजीनियर सभाजीत को ही पुलिसिया हथकंडे में फंसाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गयी.
मजेदार बात है कि साफ सुथरी छवि वाले पुलिस अधीक्षक अनुराग आर्य ने भी इस बात को जानने की कोशिश नहीं कि आखिर मामले की सच्चाई क्या है.

इंस्पेक्टर पर हेड मोहर्रिर भी लगा चुका है आरोप
आसपुर देवसरा के इंस्पेक्टर सुनील सिंह की कार्यशैली पर लंबे समय से सवाल उठ रहे हैं. थाने में तैनात रहे हेड मोहर्रिर मिथिलेश मिश्र ने इंस्पेक्टर का काला चिट्ठा खोला तो उन्हें सस्पेंड कर दिया गया. पुलिस अधीक्षक जिले के थानों का औचक निरीक्षण करते हैं पर आसपुर देवसरा थाने का निरीक्षण करने नहीं पहुंचते. चर्चा है कि आसपुर देवसरा के इंस्पेक्टर सुनील सिंह को सफेदपोशों का संरक्षण प्राप्त है. ऐसे में पुलिस महकमे का कोई भी उच्चाधिकारी इंस्पेक्टर सुनील सिंह पर कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं जुटा पाता.

प्रतापगढ़ पुलिस अब इस मामले में लीपापोती में लगी है. चुकी आसपुर देवसरा गांजा तश्करी का गढ़ है. ऐसे में पुलिस और तस्करों के बीच अच्छा तालमेल भी बताया जाता है. इंजीनियर ने अपनी शिकायत दर्ज तो करा दी पर पुलिस ने मामले को उसी के ऊपर थोप दिया. अब एसपी ने मामले में जांच बिठाई है. लेकिन मीडिया के सामने बोलने से कतरा रहे हैं.

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