प्रतापगढ़:2022 में उत्तर प्रदेश में होना वाला विधानसभा चुनाव किसी महासंग्राम से कम नहीं है. सूबे की सत्ता पर सवार भारतीय जनता पार्टी जहां दोबारा 'कमल' खिलाने का ख्वाब देख रही है तो वहीं मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी भी सत्ता के शिखर पर बैठने का ख्बाव देख रही है. 2012 में सत्ता से बाहर हुईं बसपा सुप्रीमो मायावती भी दलित-ब्राह्मण गठजोड़ के सहारे दोबारा 'हाथी' को लखनऊ तक सैर करानी चाहती हैं. कांग्रेस पार्टी का 'हाथ' भले ही उनका साथ नहीं दे रहा हो, लेकिन वह भी मुंगेरी लाल के हसीन सपने को सच करने की कोशिश करेगी.
2022 विधानसभा चुनाव में सभी पार्टियां दमखम से चुनावी मैदान में उतरने की तैयारियों में लगी हुई हैं. इसी में से एक पार्टी है 'जनसत्ता दल', जिसके मुखिया हैं भदरी रियासत के राजा उदय प्रताप सिंह के बेटे रघुराज प्रताप सिंह उर्फ 'राजा भैया'. 2019 लोकसभा चुनाव में 'जनसत्ता दल' भले ही कमाल न दिखा पाया हो, लेकिन विधानसभा चुनाव में प्रतापगढ़ व आसपास के जिलों में उसकी नजर है. साथ ही 'राजा भैया' की लोकप्रियता भी दांव पर है.
पूर्वांचल की क्षत्रिय राजनीति में धमक दिखाने वाले बाहुबली राजा भैया ने प्रतापगढ़ जिले की 'कुंडा विधानसभा'सीट पर जो तिलिस्म बनाया है, उसे आज तक कोई तोड़ नहीं पाया है. वर्ष 1993 से लेकर वर्ष 2017 तक लगातार चुनाव जीता है. चुनावी आंकड़े की बात की जाए तो साफ हो जाता है कि कुंडा सीट पर राजा भैया की आंधी चलती है और अन्य प्रत्याशी तिनके के समान उड़ जाते हैं.
राजा भैया ऐसे बाहुबली नेता है, जिन्हें किसी पार्टी की ढाल की आवश्यकता नहीं होती है. ये निर्दलीय ही चुनाव लड़ते आए हैं. इनके आगे राष्ट्रीय दलों के प्रत्याशी भी कागज के शेर साबित होते हैं. हालांकि 2017 के विधानसभा चुनाव तक समाजवादी पार्टी 'कुंडा विधानसभा'सीटपर राजा भैया को समर्थन देती आई है. इस सीट पर सपा अपना प्रत्याशी नहीं उतारती है. वहीं अब सपा और राजा की राहें जुदा होने के बाद 'कुंडा विधानसभा'सीटपर जनसत्ता के सहारे जीत हासिल करना राजा भैया के लिए आसान नहीं होगा.