प्रतापगढ:जिले में अपनी अद्भुत विशेषता और चमत्कारों को लेकर बेल्हा देवी मंदिर लोगों की आस्था का केंद्र बना हुआ है. मां बेल्हा देवी के पुजारी मनोज पंडित के मुताबिक, यहां माता सती की कमर (बेला) गिरी थी, इसलिए इस मंदिर को बेल्हा मंदिर कहा जाता है. लोक मान्यता के अनुसार, जो भी भक्त देवी मां के पास मनोकामनाओं लेकर आते हैं, मां बेल्हा देवी उन्हें जरूर ही पूरा करती हैं.
'प्रभु श्री राम ने यहां की थी पूजा'
बेल्हा मंदिर को लेकर लोगों का मानना है कि त्रेता युग में श्री राम ने वनवास के दौरान सई नदी को पार कर मंदिर वाली जगह पर पूजन कर अपने संकल्प को पूरा करने के लिए ऊर्जा ली थी. एक अन्य मान्यता के अनुसार, चित्रकूट से अयोध्या लौटते समय श्रीराम के भाई भरत ने भी यहां पूजन किया था. जिसके बाद ही मंदिर लोगों के अस्तित्व में आया और इसके प्रति लोगों की आस्था बढ़ गई. इन सबके अलावा मंदिर को लेकर एक इतिहास ये भी है कि चाहमान वंश के राजा पृथ्वी राज चौहान की एक बेटी बेला थी, जिसका विवाह इस क्षेत्र रहने वाले ब्रह्मा नामक एक युवक से हुआ था. लेकिन, बेला के विदाई के ही दिन उसके पति की मृत्य हो गई. बेला इस गम को सहन नहीं कर पाई और उसने नदी में खुद को सती कर लिया, इसलिए इस जगह को सती स्थल के नाम से भी जाना जाता है.