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प्रतापगढ़ में नहीं मिल रहीं मूर्तियां, नवरात्र कल से

यूपी के प्रतापगढ़ जिले में पंडाल सजाने वाली दुर्गा पूजा समितियों को देवी प्रतिमाएं खोजे नहीं मिल रही हैं. ऐसे में समिति के पदाधिकारी अब मूर्तियों के लिए गैर जनपद के चक्कर लगा रहे हैं. जिले में इस बार दुर्गा पूजा पंडाल और मूर्तियां कम दिखाई पड़ने वाली हैं.

सांकेतिक चित्र.
सांकेतिक चित्र.

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Published : Oct 16, 2020, 7:01 PM IST

प्रतापगढ़: शारदीय नवरात्र का पर्व शनिवार से शुरू हो रहा है. जिले में पंडाल सजाने वाली दुर्गा पूजा समितियों को देवी प्रतिमाएं खोजे नहीं मिल रही हैं. ऐसे में समिति के पदाधिकारी अब मूर्तियों के लिए गैर जनपद के चक्कर लगा रहे हैं. जिले में मूर्तिकारों का अभाव और समय कम मिलने से इस बार दुर्गा पूजा पंडाल और मूर्तियां कम दिखाई पड़ने वाली हैं.

आमतौर पर नवरात्र के तीन महीने पूर्व मूर्तिकार देवी प्रतिमाएं बनाने में जुट जाते हैं. अगस्त में बुकिंग भी शुरू हो जाती है. मगर इस बार कोरोना के चलते शारदीय नवरात्र में दुर्गा पूजा, उत्सव और रामलीला मंचन को लेकर असमंजस की स्थिति थी. इस कारण देवी प्रतिमाएं बनाने वाले बंगाल के कारीगर भी जिले में डेरा नहीं डाले. और तो और जिले के मूर्तिकार भी आर्डर न मिलने से प्रतिमाओं को इस बार आकर नहीं दे सके. असमंजस में रहे मूर्तिकारों को देर से शासन का आदेश मिला. नवरात्र से पहले दुर्गा पूजा और रामलीला के आयोजन को लेकर शासन ने प्रतिबंधों के साथ आयोजन की अनुमति दे दी. इसके बाद स्थानीय मूर्तिकारों को आर्डर तो मिलने शुरू हुए, लेकिन समय कम होने से उन्होंने भी हाथ खड़ा कर दिए. ऐसे में मूर्तियों की कमी बनी हुई है.

सहिजनपुर दुर्गापूजा पंडाल समिति के पदाधिकारी पंकज तिवारी ने बताया कि इस बार देवी प्रतिमाएं नहीं मिल पाई हैं. इस कारण दुर्गा पूजा पंडाल तैयार करने को लेकर भी असमंजस की स्थिति है. मान्धाता क्षेत्र के हिंदूपुर में आदर्श दुर्गा पूजा समिति के अश्वनी सिंह ने बताया कि कल से दुर्गा पूजा शुरू हो रही है, मूर्ति मिलने में समस्या हो रही है. प्रयागराज जनपद से मूर्ति मंगाने की बात चल रही है शाम तक निर्णय होते ही रात में समिति के लोग जाएंगे. जिले में इस बार मूर्ति भी बनी, तो गिनती की. वह भी आर्डर पर है.

इस बार मूर्ति न मिलने से कम प्रतिमाएं स्थापित

शहर में दुर्गा पूजा की रौनक इस बार फीकी ही रहेगी. मूर्तियों के दाम भी बहुत ऊंचे हो गए हैं. 15 हजार की मूर्ति 25 हजार में मिल रही है. जिले में लोग चंदे के सहारे पूरा आयोजन करते थे, लेकिन कोरोना महाकाल में इस बार चंदा भी नहीं मिल पाया है.

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