प्रतापगढ़: शादी हो या पूजा-पाठ, हर शुभ अवसर पर घरों में ढोलक बजाई जाती है, लेकिन इन ढोलकों को बनाने वाले के चेहरे की खुशी कोरोना महामारी ने छीन ली है. कोरोना के चलते सांस्कृतिक और धार्मिक कार्यक्रमों में ब्रेक लग गया है. वहीं वैवाहिक कार्यक्रम भी नहीं हो रहे हैं. ऐसे में खुशियों का पिटारा बेच अपना पेट भरने वाले यह लोग दो जून की रोटी को तरस रहे हैं. प्रतापगढ़ जिले में रोजाना सड़कों पर घूम-घूमकर ढोलकों को बेचने वाले यह लोग लॉकडाउन के पहले दिन में 3 से 4 ढोलक बेच लेते थे. वहीं मौजूदा दो हप्ते के समय में 1 या 2 ढोलक बिकना कठिन दिखाई पड़ता है.
बता दें कि शहर के एमडीपीजी कॉलेज के पास बड़ी संख्या में ढोलकों को बनाने वाले लोग रहते हैं. इनके सामने इस समय ढोलकों को बेचकर अपना और अपने परिवार का पेट भरना किसी पहाड़ पर चढ़ने से भी कठिन है. यह लोग परिवार के साथ मिलकर यहां दिन-रात मेहनत कर ढोलकों को बनाते हैं. इसके बाद शहर और गांवों में घूम-घूमकर खुद एक-एक ढोलक को बेचते हैं और उसी से इनका गुजारा चलता है.
मौजूदा समय में कोरोना को लेकर जारी गाइडलाइन के हिसाब से न तो कोई कार्यक्रम हो रहे हैं और न ही यह लोग हफ्ते के 7 दिन ढोलक बेच पाते हैं. वहीं लॉकडाउन के चलते लोगों की आर्थिक स्थिति भी खराब होने से शौकीन लोग भी ढोलक खरीदने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं. इसके चलते ढोलकों का व्यवसाय करने वालों के लिए रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है.