प्रतापगढ़:जिले के मेडिकल कॉलेज की ओपीडी में मंगलवार को दो पक्षों में मारपीट हो गई. इस दौरान तीमारदार अपने मरीजों को लेकर भागते रहे. मेडिकल कालेज के डॉ. सचिन व डॉ. लक्ष्मीकांत समेत दर्जनभर अज्ञात के खिलाफ वकीलों ने जमकर हंगामा किया. नारेबाजी करते हुए अधिवक्ता धरने पर बैठ गए. इस दौरान पुलिस से भी नोकझोंक हुई. इस पूरी घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. वहीं, नगर कोतवाली में मुकदमा दर्ज किया गया है.
वायरल वीडियो में दिखाई दे रहा है कि प्रतापगढ़ के प्रताप बहादुर हॉस्पिटल के पुरुष विंग के मुख्य भवन की ओपीडी में लोग एक-दूसरे को लात घूंसों से मार रहे हैं. हर तरफ चीख पुकार के साथ ही तीमारदार मरीजों को लेकर इधर-उधर जान बचा कर भाग रहे हैं. वहीं कुछ लोग गेट बंद करते हुए नजर आ रहे हैं. मारपीट की शुरुआत पर्चा काउंटर से होती है. इस लड़ाई में एक ओर अधिवक्ता नजर आ रहे हैं तो वहीं एक सिपाही बीच बचाव की असफल कोशिश कर रहा है. घटना के बाद परिसर में ही अधिवक्ता धरने पर बैठे कर नारेबाजी कर रहे हैं. इसी दौरान कोतवाल और कुछ पुलिसकर्मी धरनास्थल पर पहुंचते हैं. जिनसे वकीलों की झड़प हो जाती है.
इस मामले में नगर कोतवाली के शुकुलपुर निवासी शशिकांत शुक्ल की तहरीर पर डॉ. सचिन, डॉ. लक्ष्मीकांत व दर्जनभर अज्ञात के खिलाफ धारा 147, 323, 504 व 392 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है. शशिकांत ने तहरीर में आरोप लगाया है कि जब वह मेडिकल कॉलेज में पर्चा बनवाने पहुंचे तो वहां पहले से दो पक्षों में विवाद हो रहा था. विवाद होने का कारण पूंछते हुए बीच-बचाव का प्रयास करने लगे. तभी डॉ. सचिन ने अपने सहयोगियों व हॉस्टल के लड़कों को बुलाकर डॉ. लक्ष्मीकांत के साथ मिलकर मारपीट की. इसी के साथ मेरे साथी अधिवक्ता नीरज मिश्र के गले में पहनी हुई सोने की चेन छीनने लगे. जिसपर शशिकांत ने नीरज की चैन व उनको बचाने का प्रयास किया तो सभी लोगों ने दरवाजा बन्दकर दोनों के साथ मारपीट की और गले से चेन छीन ली. वहां मौजूद पंकज सरोज ने भी बीच-बचाव की कोशिश की तो उसके साथ भी मारपीट की गई.घटना की जानकारी मिलने पर सीएमओ डॉ. गिरेन्द्र मोहन शुक्ल मेडिकल कॉलेज पहुंच गए. जहां उन्होंने सीएमएस वाइस प्रिंसिपल सहित अन्य डॉक्टरों से घटना के बार में जानकारी ली. सीएमओ ने बताया कि मामला बहुत छोटा था. पर्चा कटवाने आए अधिवक्ता के परिजन के कारण स्टूडेंट और कर्मचारियों के बीच विवाद हो गया था. अधिवक्ता और कर्मचारियों के बीच का मामला होने के कारण मामले को प्रसारित किया गया. जांच के बाद ही पता चलेगा कि मामले में किस डॉक्टर की भूमिका रहे है. इस घटना के बाद लगभग 15 से 20 मिनट तक ओपीडी बंद रही.