प्रतापगढ़ :जिले में एमडीएम का बुरा हाल है. स्कूलों में हेडमास्टर और कोटेदार के टकराव के चलते सरकार की यह महत्वाकांक्षी योजना ध्वस्त होती जा रही है. इस टकराव के चलते छात्रों को खाना नहीं मिल पा रहा है और उन्हें स्कूल में भूखा रहना पड़ता है. वहीं, अधिकतर हेड मास्टर दावा करते हैं कि कोटेदार उनका सहयोग नहीं कर रहे हैं.
कुछ यही हाल है सांगीपुर ब्लाॅक के संविलित विद्यालय पूरे नरायनदास का जहां इस खींचतान के चलते जुलाई 2020 से स्कूलों में मिड-डे मील नहीं बना है. लॉकडाउन के दौरान एक डेढ़ महीने तक हेडमास्टर हरि प्रसाद मिश्र ने अपनी जेब से पैसा लगाकर स्कूल में मिड-डे मील बनवाया पर बाद में विभाग और प्रशासन का सहयोग न मिलने से यह प्रक्रिया भी जारी न रह सकी. हेडमास्टर ने ब्लाॅक के एमडीएम प्रभारी और बीएसए से भी लिखित शिकायत की. वहीं, एमडीएम प्रभारी ने भी बीएसए को इसे लेकर पत्र भेजा. पर समस्या का समाधान नहीं हो सका.
MDM का बुरा हाल : बच्चे स्कूल में मांग रहे खाना पीट रहे थाली, विभागीय अधिकारी कर रहे बहानेबाजी यह भी पढ़ें :मनीष गुप्ता हत्याकांडः SIT कानपुर ने गोरखपुर में होटल के कमरे की छानबीन की
इस बाबत बेसिक शिक्षा अधिकारी सुधीर सिंह से बात की गई. उन्होंने कहा कि जानकारी मिली है कि उक्त विद्यालय में खाना नहीं मिल रहा है. बच्चे थाली पीट रहे हैं. इसकी जांच खंड शिक्षा अधिकारी को सौंप दी. जांच रिपोर्ट में कहा गया कि तीस सितंबर तक यहां भोजन बना. इसके बाद कोटेदार से राशन न मिलने से भोजन नहीं बन सका.
जांच में ये मामला सामने आया कि कोटेदार और ग्राम प्रधान में समन्वय न होने से ये स्थिति उतपन्न हुई. इस बात का संज्ञान लेते हुए जिला पूर्ति अधिकारी को पत्र निर्गत किया गया है. प्रधानाध्यापक से स्पष्टीकरण मांगा गया है कि भोजन क्यों नहीं बनवाया गया. बीएसए ने ग्राम प्रधान को भी नोटिस देने की बात कही. जांच के बाद दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
कुछ भी हो पर कोटेदार, हेडमास्टर और बीएसए के बयानों में विरोधाभास साफ नजर आ रहा है. पर इस बयानबाजी के फेर में स्कूल के बच्चे भूखे पेट स्कूल से घर जा रहे हैं. इस ओर किसी का ध्यान नहीं है. यह भी नहीं बताया जा रहा कि व्यवस्था में सुधार कब तक होगा या अधिकारी कौन सा तात्कालिक कदम उठाने जा रहे हैं.