प्रतापगढ़ःअफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद बड़ी संख्या में भारतीय काबुल फंसे हुए हैं. वहीं, वायुसेना के विमान से 150 भारतीयों को देश वापस लाया गया है. इनमें अमेरिका सेना के लिए काम करने वाले जिले के अशोक सिंह भी हैं. अशोक सिंह के सकुशल घर पहुंचने से परिजनों ने राहत की सांस ली है. लालगंज के कुवर का पुरवा गांव के रहने वाले अशोक सिंह काबुल में अमेरिकी सेना के कैम्प में 3 साल से बतौर आईटी मैनेजर काम कर रहे थे. अशोक सिंह ने ETV BHART को अफगानिस्तान से भारत तक पहुंचने की पूरी दास्तां बताई.
अशोक बताते हैं कि जब तालिबान ने अफगानिस्तान के प्रांतो में कब्जा करना शुरू किया तो सबको पता था कि तालिबान के लड़ाके काबुल तक पहुंच जाएंगे. लेकिन किसी को पता नहीं पता था कि तालीबानी कब तक काबुल पहुंच जाएंगे. उन्होंने बताया कि काबुल में रह रहे दूसरे देश और स्थानीय लोग दहशत में दिन काट रहे थे. अशोक सिंह ने बताया कि 14 अगस्त को आर्मी का बेस कैम्प खाली करने के लिए फोन आया. इसके बाद शाम 6 बजे चिनूक हेलीकाप्टर से सभी साथी के साथ काबुल एयरपोर्ट पहुंच गए.
काबुल एयरपोर्ट पहुंचे तो तालिबान के लड़ाकों ने एयरपोर्ट पर हमला शुरू कर दिया. यूएस आर्मी और तालिबानिंयो के बीच जमकर गोलाबारी भी हुई तालिबानी धीरे -धीरे कब्जा करने पहुंच रहे थे, किसी तरह से पूरी रात एयरपोर्ट पर गुजारी. 15 अगस्त को दोपहर में तालिबानियों ने सिविल एयरपोर्ट पर हमला कर दिया. यूएस एयरबेस पर भी तालिबानी हमलावरों ने खूब दहशत फैलाई. 15 अगस्त की शाम को यूएस की फ्लाइट से कतर की राजधानी दोहा पहुंचे. वहां से कुवैत पहुचे. जिसके बाद कुवैत से 17अगस्त को वो दिल्ली के लिए रवाना हुए और 18 अगस्त को दिल्ली एयरपोर्ट पर पहुंचे. अशोक ने बताया कि अफगानिस्तान में बिताए वो 83 घंटे जिंदगी भर याद रहेंगे. उन्होंने बताया कि नमकीन और स्नैक्स खाकर दिन गुजारे.
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अशोक ने बताया कि काबुल एयरपोर्ट पर खौफ और भगदड़ का माहौल था. एयरपोर्ट पर भयानक भीड़ थी, हर कोई अफगानिस्तान को तालिबान के खौफ में छोड़ कर भागना चाहता था. अशोक बताते है बहुत ही मुश्किल वक्त था ,लेकिन यूएस सरकार ने खूब साथ दिया. जिसके चलते आज हम अपने देश, अपने परिजनों के बीच पहुंच सके. घर पहुंचने के बाद वो भावुक भी हो गए. गांव में हर कोई तालिबानियों की करतूत उनके मुंह से सुन रहा है.