प्रतापगढ़:जनपद में गुरुवार को पुलिस ने आतंकवाद विरोधी दिवस मनाया. इस मौके पर पुलिस अधीक्षक अभिषेक सिंह समेत पुलिस विभाग के अधिकारियों और जवानों ने मानव जीवन मूल्यों को खतरा पहुंचाने वाली हिंसा, आतंकवाद और विघटनकारी शक्तियों से निष्ठा पूर्वक लड़ने की शपथ ली.
आतंकवाद विरोधी दिवस
जनपद में एसपी अभिषेक सिंह के साथ पुलिस महकमे के सभी अधिकारियों और कर्मचारियों ने मानव जीवन को खतरा पहुंचाने वाले हिंसा, आतंकवाद और विघटनकारी शक्तियों से निष्ठापूर्वक लड़ने की शपथ ली. इस अवसर पर एसपी ने जिले के पुलिसकर्मियों के साथ आम जनमानस से अपील की कि कोरोना जैसी बीमारी से लड़ने के लिए सभी लोग शासन और प्रशासन के दिशा निर्देशों का पालन करें.
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने दिया निर्देश
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्य के मुख्य सचिवों को पत्र लिखकर सावधानी के साथ आतंकवाद विरोधी दिवस मनाने का निर्देश दिया हैं. हर साल मनाए जाने वाले आतंकवाद विरोधी दिवस को मनाने का उद्देश्य युवाओं को आतंकवाद और हिंसा के पथ से दूर रखने के साथ शांति और मानवता का संदेश फैलाना है. इसके साथ ही लोगों को जागरूक करना, एकता को बढ़ावा देना, युवाओं में देशभक्ति जगाना और आम लोगों की पीड़ा को उजागर करना है.
जानिए क्यों 21 मई मनाया जाता है आतंकवाद विरोधी दिवस
हर साल 21 मई को ही आतंकवाद विरोधी दिवस मनाया जाता है. आज ही के दिन यानी 21 मई 1991 को देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की तमिलनाडु के श्रीपेरंबुदूर में हत्या कर दी गई थी. उस वक्त राजीव गांधी चुनाव प्रचार के सिलसिले में श्रीपेरंबुदूर गए हुए थे. वे वहां एक जनसभा को संबोधित करने जा ही रहे थे कि उनका स्वागत करने के लिए रास्ते में बहुत सारे प्रशंसक उन्हें फूलों की माला पहना रहे थे. इसी मौके का फायदा उठाते हुए लिट्टे के आतंकवादियों ने इस घटना को अंजाम दे दिया था. हमलावर धनु ने एक आत्मघाती विस्फोट को अंजाम दिया था, जिसमें राजीव गांधी की मौत हो गई थी. पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी बलिदान दिवस को आतंकवाद विरोधी दिवस के रूप में भी मनाया जाता है.
राजीव गांधी को श्रद्धांजलि
पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को श्रद्धांजलि देने के लिए 21 मई का दिन आतंकवाद विरोधी दिवस के तौर पर मनाया जाता है. आतंकवाद विरोधी दिवस मनाने का उद्देश्य राष्ट्रीय हितों पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभावों, आतंकवाद के कारण आम जनता को हो रही परेशानियों, आतंकी हिंसा से दूर रखना है. इसी उद्देश्य से स्कूल-कॉलेज और विश्वविद्यालयों में आतंकवाद और हिंसा के खतरों पर परिचर्चा, वाद-विवाद, संगोष्ठी, सेमीनार और व्याख्यान आदि का आयोजन किया जाता है.