पीलीभीत: जिले की 130 बीसलपुर विधानसभा चार नदियों माला नदी, कटना नदी, देवहा नदी और खन्नौत नदी की लहरो से घिरी हुई है. जातीय राजनीतिक लहरे इस विधान सभा का चुनाव तय करती है. 10वीं सदी का देवल शिलालेख, जो 1829 में दियोरिया के निकट इलाहवास देवल में पाया गया था. यह एक संस्कृत शिलालेख है, जो विक्रम संवत (992 या 993 ईस्वी) के वर्ष 1049 का है. इसके साथ-साथ यहां पर राजा मोरध्वज का किला तथा ऐतिहासिक रामलीला मेला यहां की विशेषताएं हैं.
जिले की 130 विधानसभा बीसलपुर जिले की चारों विधान सभाओं में इस लिए अहम है, क्योंकि इस विधान सभा में जवाहर नवोदय विद्यालय, राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, किसान सहकारी चीनी मिल और जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान स्थित है. वर्तमान मे इस सीट पर भाजपा के विधायक अगयश रामसरन वर्मा गठबंधन के कांग्रेस प्रत्याशी अनीस अहमद खान को हरा कर लगातार दूसरी बार विधायक बने हैं. वह पहले भी भाजपा से दो बार विधायक और मंत्री रहे हैं.
इस विधान सभा की सीट 1991 मे कुर्मी के हाथ से जाने के बाद भाजपा के रामसरन वर्मा व बसपा के अनीस अहमद का कब्जा रहा है. बसपा के अनीस अहमद ने 1996 से 2012 तक लगातार तीन बार जीत हासिल की, लेकिन 2012 के विधान सभा के चुनाव मे उनको हार का सामना करना पड़ा और बीजेपी के अगयश रामसरन वर्मा जीत गए. तब से वह लगातार 130 विधानसभा सीट पर अपना कब्जा जमाए हुए हैं. देखते है इस बार इस विधान सभा पर किसका कब्जा रहेगा.
राजनीतिक पृष्ठभूमि
इस विधानसभा क्षेत्र में पहला चुनाव 1957 में हुआ था. इस चुनाव में बेहारी लाल प्रजा सोसलिस्ट पार्टी के टिकट पर विधायक बने थे. 1962 में कांग्रेस के दुर्गा प्रसाद इस सीट से विधायक बने. 1967 में पीएसपी के एमपी सिंह ने यहां कब्जा किया. वहीं 1969 में तेजबहादुर बीकेडी से और 1974 में कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा पहुंचे. 1977 में मुनेन्द्र पाल सिंह जेएनपी से विधायक बने. 1980 में तेज बहादुर तीसरी बार कांग्रेस के टिकट पर विधायक बने. 1989 में जनता दल के हरीश कुमार ने जीत दर्ज की.
1991 में पहली बार खुला BJP का खाता
राम लहर में 1991 के चुनाव में रामसरन वर्मा ने इस सीट पर कब्जा कर लिया. 1993 के चुनाव में भी उन्होंने जीत दर्ज की.
1996 से बढ़ा BSP का वर्चस्व
1996 में समीकरण बदले तो बहुजन समाज पार्टी ने पहली बार इस सीट पर कब्जा किया. इस चुनाव में अनीस खान विधायक बने. इसके बाद 2002 में भी जनता ने बसपा और अनीस खान पर भरोसा जताया और जीत का तोहफा दिया. वहीं 2007 के चुनाव में भी तीसरी बार बसपा के अनीस खान इस सीट से विधायक बने. जिसके बाद विधान सभा चुनाव 2012 मे फिर भाजपा के अगयश रामसरन वर्मा जीते, तब से वह लगातार सीट पर जमे हुए हैं.