पीलीभीतः गोमती नदी के उद्गम स्थल कलीनगर की फुलहर झील के किनारे जल्द ही डेढ़ एकड़ भूमि में कछुआ संरक्षण एवं रिसर्च सेंटर बनेगा. जिला अधिकारी ने इसको लेकर तत्परता जाहिर करते हुए कवायद शुरू कर दी है. जिला अधिकारी के अनुसार रिसर्च सेंटर के लिए भूमि को चिन्हित कर लिया गया है. 3 वर्ष पहले टर्टल सर्वाइवल एलाइंस भारत के निदेशक ने अपनी टीम के साथ भूमि देखी थी और कछुओं के संरक्षण के लिए बेहतर वातावरण बताया था. जिसको लेकर पीलीभीत जिला अधिकारी पुलकित खरे तन-मन से जुट चुके हैं. बहुत जल्द संरक्षण केंद्र एवं रिसर्च सेंटर बनाया जाने लगेगा.
गोमती नदी उद्गम स्थल है सौंदर्यपूर्ण
अवध की शान लखनऊ की लाइफ लाइन कही जाने वाली आदि गंगा मां गोमती नदी के उद्गम तीर्थ स्थल पर जिलाधिकारी पुलकित खरे ने निरीक्षण किया था. उद्गम तीर्थ स्थल पर बारीकी से निरीक्षण करते हुए स्थल के पौराणिक धार्मिक एवं प्राकृतिक सौंदर्य के परिपूर्ण होने के कारण पर्यटन के रूप में विकसित करने की बात कही थी. निरीक्षण के समय फुलहर झील में बहुतायत संख्या में कछुए देखे गए. जिस पर जिलाधिकारी पुलकित खरे ने आसपास के लोगों से इस संबंध में बातचीत की.
पाई जाती है कछुओं की 26 दुर्लभ प्रजाति
लोगों ने बताया कि इस झील में 26 दुर्लभ प्रजाति के कछुए पाए जाते हैं. इसलिए इनका संरक्षण अत्यंत जरूरी है. साथ ही यह भी बताया कि समय पहले लोगों ने शासन प्रशासन स्तर पर मांग की थी कि इन कुछुओं का संरक्षण किया जाए. इस मांग पर टर्टल सर्वाइवल एलाइंस भारत के निदेशक डॉ. शैलेंद्र सिंह अपनी 3 सदस्य टीम के आशीष सिंह, सुरेश पाल सिंह के साथ फुलहर झील का निरीक्षण किया था. साथ ही यहां के वातावरण को कछुओं के लिए बेहतर बताया था. प्रजातियों के बारे में गहन अध्ययन भी किया था.