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इंदिरा हृदयेश को याद कर भावुक हुई सहेली, बताया कैसे कटते थे कॉलेज के दिन

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Published : Jun 14, 2021, 5:50 PM IST

कांग्रेस की नेता इंदिरा हृदयेश का पार्थिव शरीर सोमवार को पंचतत्व में विलीन हो गया. उनके निधन से पीलीभीत में लोग दुखी हैं, खासकर उनकी बचपन की सहेली रागिनी गंगवार. रागिनी गंगवार से जब ईटीवी संवाददाता ने बात की, तो उनकी आंखें छलक उठीं. इस बातचीत के दौरान उन्होंने इंदिरा हृदयेश के बारे में कई जानकारियां शेयर कीं

इंदिरा हृदयेश को याद कर भावुक हुई सहेली
इंदिरा हृदयेश को याद कर भावुक हुई सहेली

पीलीभीत :उत्तराखंड की विधानसभा की नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश का निधन रविवार को दिल्ली में हुआ था. उनकी मौत से न सिर्फ कुमाऊं की राजनीति में सूनापन आया है बल्कि उत्तर प्रदेश के पीलीभीत में भी शोक की लहर दौड़ गई है. यहां इंदिरा हृदयेश की कई ऐसी दोस्त हैं, जिनके साथ वह स्कूल से इंटर कॉलेज तक साथ रहीं. ऐसी ही एक दोस्त हैं, रागिनी गंगवार.

रागिनी गंगवार बताती हैं कि इंदिरा हृदयेश पूरनपुर तहसील क्षेत्र के गांव जमुनिया में एक मध्यम वर्गीय परिवार में जन्मी थीं. असल में उनका नाम इंदिरा पाठक था. उनके पिता का नाम टीकाराम और माता का नाम रामादेवी था. पीलीभीत शहर के आर्य समाज मंदिर के पास उनके पिता की एक छोटी सी दुकान थी. इंदिरा हृदयेश का परिवार शहर के गोपाल सिंह मोहल्ले में पुत्तू लाल जायसवाल के मकान में किराये पर रहता था.

इंदिरा हृदयेश को याद कर भावुक हुई सहेली

रागिनी उनकी बचपन की सहेली हैं. उन्होंने पीलीभीत के जीजीआईसी कॉलेज से इंटरमीडिएट तक की शिक्षा ग्रहण की थी. कॉलेज के दिनों में इंदिरा हृदयेश, रागिनी गंगवार और चित्रा गोयल की दोस्ती मशहूर थी. यह तिकड़ी हमेशा साथ ही रही. रागिनी गंगवार ने बताया कि बचपन से ही इंदिरा हृदयेश कुशाग्र बुद्धि की थीं. वह अच्छी वक्ता के तौर पर स्कूल में प्रसिद्ध थीं. उस दौर में ही उनकी सहेलियां उन्हें नेता के तौर पर देखती थीं. आगे चलकर इंदिरा हृदयेश ने शिक्षक नेता के तौर पर अपनी पहचान बनाई.

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33 साल की उम्र में वह पहली बार तत्कालीन उत्तर प्रदेश के विधान परिषद की सदस्य बनीं. हेमवती नंदन बहुगुणा और नारायण दत्त तिवारी की सरकार में उनका कद काफी बढ़ गया. उत्तराखंड में भी वह सीएम पद की दावेदार रहीं. रागिनी बताती हैं कि वह राजनीति में बुलंदियों को छूती रहीं, मगर उनका नाता पीलीभीत से बना ही रहा.

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