पीलीभीत: एक तरफ सरकार किसानों की आय दोगनी करने का वायदा करती है तो वहीं दूसरी तरफ सरकार का यह वायदा जिले में धराशाई होता नजर आ रहा है. यहां लौकी का उत्पादन करने वाले किसान बेहद परेशान हैं. यही नहीं, आढ़ती भी तमाम समस्याओं से जूझ रहे हैं. जिसका नतीजा है कि लौकी के खरीददार न मिलने से परेशान किसान और आढ़ती लौकी को या तो गोशाला पहुंचा दे रहे हैं या फिर लौकी को बहुतायत में सड़कों किनारे फेंक दिया जा रहा है.
सड़क किनारे क्यों फेकी जा रही टनों लौकी? जानिए व्यापारियों की जुबानी
तमाम जिलों में आप ने सड़क किनारे लगे कूड़े के ढेर तो खूब देखे होंगे लेकिन पीलीभीत जिले में इन दिनों सड़कों के किनारे कूड़े की जगह लौकी के ढेर नजर आएंगे. दरअसल तराई का इलाका होने के कारण उत्तर प्रदेश के पीलीभीत में लौकी, तरोई, खीरा और कद्दू जैसी हरी सब्जी बहुतायत में पैदा की जाती हैं, मगर लौकी मंडियों में कम मगर सड़कों के किनारे ज्यादा नजर आ रही हैं. क्योंकि न तो इस फसल का कोई खरीददार है और न ही इसकी कहीं मांग.
सड़क किनारे क्यों फेकी जा रही टनों लौकी?
तराई का इलाका होने के कारण उत्तर प्रदेश के पीलीभीत में लौकी, तरोई, खीरा और कद्दू जैसी हरी सब्जी बहुतायत में पैदा की जाती हैं, जो पूरे देश में पीलीभीत से सप्लाई की जाती हैं. लेकिन इन दिनों यहां लौकी की हालत कुछ ऐसी है कि लौकी मंडियों में कम मगर सड़कों के किनारे ज्यादा नजर आ रही हैं. क्योंकि न तो इस फसल का कोई खरीददार है और न ही इसकी कहीं मांग.