पीलीभीत: उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा दिव्यांगजनों के कल्याण के लिए चलाई जा रही दिव्यांगजन विवाह पुरस्कार योजना में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है. मामले का खुलासा होते ही संबंधित अधिकारियों में हड़कंप मच गया, जिसके बाद सचिव समेत छह लोगों के खिलाफ बरखेड़ा थाने में मुकदमा दर्ज किया गया है.
दिव्यांगजन सशक्तिकरण अधिकारी के कार्यालय के वरिष्ठ सहायक अकबर अली ने बरखेड़ा पुलिस को दी तहरीर में बताया है कि उत्तर प्रदेश सरकार के द्वारा दिव्यांगजनों के कल्याण के लिए दिव्यांगजन विवाह पुरस्कार योजना लागू की गई थी, जिसके तहत प्रत्येक दिव्यांग जनों को उनके विवाह होने पर पुरस्कार स्वरूप पुरुष को ₹15000 और महिला को ₹20000 देने का प्रावधान है. इस अनुदान के लिए केवल 2 साल के भीतर ही शादी करने वाला दिव्यांग व्यक्ति ही आवेदन कर सकता है.
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वरिष्ठ कार्यालय सहायक ने बताया कि वर्ष 2020-21 में इस योजना का लाभ उठाने के लिए धर्मपाल और माया राम नाम के दो व्यक्तियों ने आवेदन किया और शादी के कार्ड भी शामिल किए. कार्ड में दिखाया गया कि धर्मपाल का विवाह सुशीला देवी के साथ 29 जुलाई 2019 को और माया राम का विवाह लता देवी के साथ 27 मई 2019 को हुआ है. जब विभाग द्वारा दोनों आवेदनों का सत्यापन कराया गया तो ग्राम पंचायत सचिव मोहम्मद रिजवान और महेंद्र के द्वारा दोनों आवेदनों को सही बताते हुए विभाग को आख्या दे दी गई. इसी बीच दोनों आवेदकों के पात्र न होने का मामला सामने आया.
विभाग ने जब दोनों मामलों का फिर से सत्यापन कराया तो सामने आया कि धर्मपाल का विवाह सुशीला देवी सेवर से 2007 में. जबकि मायाराम का विवाह लता देवी से 2010 में हुआ था. दोनों ने ही सरकार के निर्देशों का उल्लंघन किया है. इसके अतिरिक्त दोनों ही आवेदकों द्वारा योजनाबद्ध तरीके से तत्कालीन ग्राम प्रधान और ग्राम पंचायत सचिव मोहम्मद रिजवान और महेंद्र प्रिंटिंग प्रेस के स्वामी के साथ आपराधिक षडयंत्र रच इस घटना को अंजाम दिया गया था.
वरिष्ठ कार्यालय सहायक की तहरीर पर बरखेड़ा पुलिस ने धर्मपाल मायाराम ग्राम पंचायत सचिव मोहम्मद रिजवान, महेंद्र सिंह तत्कालीन ग्राम प्रधान और प्रिंटिंग प्रेस स्वामी के खिलाफ धोखाधड़ी कूट रचित दस्तावेज तैयार करना संरचना जैसी तमाम संगीन धाराओं में मामला दर्ज कर मामले की जांच में जुट गई है.
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