मुजफ्फरनगर:जिले में दैवीय आपदा में मिलने वाले मुआवजे के नाम पर जिला प्रशासन द्वारा एक निर्धन दलित परिवार के साथ निंदनीय मजाक करने का मामला सामने आया है. पिछले कई दिन से हो रही भारी बारिश के चलते दलित परिवार का कच्चा मकान भरभरा कर गिर गया और पीड़ित परिवार बरसात के मौसम में खुले आसमान के नीचे आ गया. इसको लेकर जिला प्रशासन ने पीड़ित परिवार की मदद के नाम पर ऐसा मजाक किया है जिसे सुनकर किसी को भी शर्म आ जाए हालांकि अधिकारियों को तो नहीं आई. दैवीय आपदा के नाम पर पीड़ित परिवार को मिलने वाली सहायता राशि के नाम पर जिला प्रशासन ने मात्र 3200 रुपये थमा दिए.
दरअसल मामला मुजफ्फरनगर के सदर तहसील क्षेत्र के गांव बागोवाली का है, जहां पिछले कई दिनों से हो रही बारिश के कारण बागोवाली निवासी दलित मजदूर राकेश मेडियन का कच्चा मकान भरभरा कर गिर गया. गनीमत रही कि राकेश ने समय रहते न सिर्फ अपने पिता और जरुरी सामान को मकान से बाहर निकाल लिया, बल्कि खुद भी सही सलामत गिरते मकान से बाहर आ गए. पीड़ित राकेश मेडियन मजदूरी करके अपने परिवार के 8 सदस्यों का किसी तरीके से पालन-पोषण कर रहे हैं. राकेश आर्थिक तंगी के कारन कच्चे मकान पर पक्की छत नहीं बनवा पाए तो उन्होंने पिछले 10 वर्ष में लगातार जिला प्रशासन से प्रधानमंत्री आवासीय योजना के लिए आवेदन किया. उन्होंने पक्की छत के लिए भी बैंक से कर्ज लेने का प्रयास किया, लेकिन न ही उन्हें बैंक से कर्ज मिला और न ही प्रधानमंत्री आवासीय योजना का लाभ मिला. अब जब राकेश का मकान बरसात के कारण खंडर में तब्दील हो गया तो जिला प्रशासन ने पीड़ित के हाथ पर 3200 रूपये का कागज का टुकड़ा रख कर उनकी गरीबी का मजाक बना दिया है.
मुआवजे के नाम पर दिए 3200 रुपये बारिश में गिरा कच्चा मकान खुले आसमान के नीचे रखा सामान. राकेश का कहना है कि वह गांव बागोवाली के रहने वाले हैं और मजदूरी करते हैं. बीते शनिवार की रात भारी बरसात के चलते उनका कच्चा मकान दीवार बैठने की वजह से गिर गया. समय रहते कच्चे मकान से जरुरत का सामान निकाल लिया था, जो अभी खुले आसमान के नीचे या पडोसी के घर में रखा हुआ है. उन्होंने तहसीलदार को मकान गिरने की सूचना दी थी. तहसीलदार ने लेखपाल को भेजा था. लेखपाल ने उन्हें मुआवजे के तौर पर 3200 रूपये का एक पत्र दिया है. सभी जानते हैं कि आज महंगाई के दौर में 3200 रूपये में मकान की छत पर छप्पर भी नहीं पड़ सकता है. हम खुले आसमान के नीचे सोने के लिए मजबूर हैं. परिवार में 8 सदस्य हैं बेटा, पुत्र वधु और छोटे बच्चे हैं. उन्होंने कहा वह पिछले 10 साल से सरकारी आवास के लिए आवेदन कर रहे हैं. भ्रष्ट अधिकारियों ने पक्के मकान गिरवाकर दोबारा बनवा दिए लेकिन, हमारे कच्चे मकान पर छत नहीं बनवाई, क्योंकि हमारे पास अधिकारियों को घूस देने के लिए पैसे नहीं थे. हम तो यही चाहते हैं की जो भी मुआवजा बनता है वो मिले या फिर प्रधानमंत्री आवासीय योजना के तहत हमें पक्का मकान मिल जाए.
बता दें कि प्रधानमंत्री आवास योजना में कच्चे मकान को सही कराने और बनवाने के लिए लगभग ढाई लाख रुपये सरकार की तरफ से दिए जाते हैं. वहीं उत्तर प्रदेश में योगी सरकार मुख्यमंत्री आवास योजना के नाम पर 1 लाख 20 हजार रुपये और शौचालय बनावाने के लिए अलग से 12 हजार रुपये देती है. तो ऐसे में जब एक गरीब का मकान गिर जाए और उसे खुले आसमान के नीचे रहने रहने के लिए मजबूर होना पड़े तो सरकार के नुमाइंदे उन्हें मदद के नाम पर मात्र 3200 रुपये दे रहे हैं.