मुजफ्फरनगरः इंसानों की मृत्यु होने पर प्रत्येक परिवार पूरे रीति-रिवाज के साथ तेरहवीं करता है, लेकिन किसी जानवर की मौत पर तेरहवीं की रस्म पूरे विधि-विधान के साथ होगी. ऐसा कम ही देखने को मिलता है. एक ऐसा ही वाक्या है डॉ. ब्रह्मदत्त सैनी के परिवार के सदस्य के रूप में पालतू कुत्ते कालू का.
डॉ. ब्रह्मदत्त सैनी का पूरा परिवार अपने पालतू कुत्ते की मौत के बाद अनोखा कार्य करता दिखा. उन्होंने 14 वर्षीय पालतू कुत्ते कालू के मरने के बाद अपने सभी सगे-संबंधियों को आमंत्रण देकर तेरहवीं के कार्यक्रम में बुलाया. तेरहवीं में इस कदर रिश्तेदारों को भीड़ लगी कि सुबह से शाम तक लोगों का तांता लगा रहा. तेरहवीं के भोज में 1100 लोगों ने हिस्सा लिया और 50 किलो लड्डू भी बांटे गए.