मुजफ्फरनगर: आयुर्वेद प्राचीन चिकित्सा प्रणाली है, इसे लेकर माना जाता है कि इसकी शुरुआत 5 हजार साल पहले हुई है. आयुर्वेद संस्कृत के दो शब्द 'आयुष' और 'वेद' से मिलकर बना है. 'आयुष' का अर्थ जीवन और 'वेद' का अर्थ 'विज्ञान' होता है. इसलिए इसका शाब्दिक अर्थ है- जीवन का विज्ञान. साधारण भाषा में कहें तो जीवन को ठीक प्रकार से जीने का विज्ञान ही आयुर्वेद है. यह विज्ञान केवल रोगों की चिकित्सा या रोगों का ही ज्ञान नहीं देता, बल्कि स्वस्थ जीवन जीने के लिए सभी प्रकार के आवश्यक ज्ञान की प्राप्ति भी कराता है.
वैश्विक महामारी कोविड-19 के चलते प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने पर हो रही चर्चाओं के बीच यह पाया गया कि भारतीय जन मानस आम तौर पर बहुत सी ऐसी औषधियों का रोजाना सेवन करते हैं, जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में खासे मददगार हैं.
गर्म और पारंपरिक खाना खाएं
स्वामी कल्याण देव राजकीय आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य प्रोफेसर सुदीप सहाय ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में बताया कि शरीर का बल अगर अधिक होगा तो कोई भी बैक्टीरिया या वायरस आदि प्रभावी नहीं होता. इसलिए सबसे जरूरी है कि हमारा खानपान, हमारा आचार-विचार ऐसा होना चाहिए, जिससे हमारे शरीर का बल अधिक रहे. उन्होंने बताया कि आजकल प्रतिरोधक क्षमता की जो बात की जा रही है, उसके लिए हमारी दिनचर्या को नियमित होने के साथ ही आहार भी ठीक होना चाहिए. शरीर का पोषण आहार से होता है, इसलिए हमारा आहार पारंपरिक होना चाहिए. हमें गर्म और पारंपरिक खाना ही खाना चाहिए.