मुजफ्फरनगर: हरियाणा के पानीपत के रहने वाले दो भाई पप्पन और सतेंद्र अपने मां-बाप की इच्छा पूरी करने के लिए हरिद्वार से गंगा जल लेकर श्रवण कुमार की तरह अपने माता-पिता को अपने कंधे पर तराजू रूपी कांवड़ में बिठाकर कांवड़ यात्रा पूरी कर रहे हैं. इस अद्भुत नजारे को देख नगरवासी भी आश्चर्यचकित हैं. लोग इन्हें कलयुग के श्रवण कुमार कह रहे हैं.
कलयुग में भी हैं श्रवण कुमार. श्रवण कुमार की कहानी आज की पीढ़ी को सिर्फ ज्ञान ही नहीं बांट रही है. कौन सोच सकता है कि सतयुग के श्रवण कुमार के जैसा इस कलयुग में भी श्रवण कुमार हो सकता है. शायद आपने भी नहीं सोचा होगा कि सतयुग के श्रवण कुमार जैसे पुत्र भी कलयुग में पैदा हो सकते हैं.
शिव भक्त सतेंद्र और पप्पन के माता-पिता की इच्छा थी कि वह भी हरिद्वार की यात्रा कर पवित्र गंगा जल लेकर भगवान शिव का जलाभिषेक करें. श्रवण बने दोनों बेटे अपने माता-पिता दोनों को तराजू रूपी कांवड़ में बैठाकर उनकी मनोकमना पूरी करने रोजाना कोसों पैदल चल रहे हैं.
आज भले ही बच्चे अपने माता-पिता का ध्यान रख पाने में पिछड़ रहे हों, लेकिन इन दोनों भाइयों का अपने माता-पिता के प्रति ये भाव देखकर उन बच्चों के लिए ये प्रेरणा का काम जरूर करेगा, जो अपने माता-पिता के प्रति अपने आदर्शों को भूलकर आधुनिक युग में जी रहे हैं. ये नजारा वाकई श्रवण कुमार की याद ताजा कर रहा है.