मुजफ्फरनगरः भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी नरेश टिकैत ने कृषि कानून वापसी को लेकर कहा कि कृषि कानून की अभी वापसी कहां हुई है. किसानों पर कई मुकदमे हैं. भाजपा से कोई नाराजगी नहीं है. सरकार ने जो वादे किए है उस पर खरी उतरी. जयंत चौधरी से मिलने के सवाल पर उन्होने कहा कि जयंत के अलावा संजीव बालियान भी आए थे. हम राजनीतिक नहीं है. यह तो गठबंधन की हवा चल रही है. आरएलडी के समर्थन के सवाल पर उन्होंने कहा कि यह तो जनता की आवाज है. जनता के सुर में सुर हम भी मिला रहे हैं.
जाट बाहुल्य इलाकों में भाजपा के विरोध में वोटिंग के सवाल पर उन्होंने कहा कि 13 महीने जो आंदोलन चला था उसमें 750 किसान शहीद हो गए. ऐसे में कहीं न कहीं तो भाजपा का विरोध है. एक तरफ गठबंधन है और दूसरी तरफ भाजपा है. गठबंधन तो बढ़त ही लेगा. वैसे इस मामले में हमें घसीटना नहीं चाहिए. हमारा काम दिल्ली में खत्म हो गया था.
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी नरेश टिकैत ने ईटीवी भारत से की एक्सक्लूसिव बातचीत. भाजपा को नुकसान के सवाल पर उन्होंने कहा कि पूरे भारत में फर्क पड़ रहा है. उत्तराखंड और पंजाब में हालत देख लो. बंगाल में भी बड़ा विरोध दिखा. इससे भाजपा को काफी नुकसान हुआ है. जातीय समीकरण पर बोले हम जाति पर विश्ववास नहीं करते हैं. यह रिश्ते-नातों के काम आती है.
वह बोले, किसान आंदोलन 13 महीने चला था. किसानों को कितने शब्दों से नवाजा गया था. पाकिस्तानी, खालिस्तानी आदि. कहा गया था कि विदेश से फंडिंग आ रही है. किसानों का दिल बड़ा है. अब चुनाव आ गए हैं. जनता गुस्से में है. जनता तो फिलहाल सत्ता बदलने के मूड में है.
भाजपा के 300 पार के दावे पर उन्होंने कहा कि भाजपा के पूरे प्रदेश में 55-60 सीट निकल आए तो बहुते हैं. 60-65 सीट निकल आए तो बहुत मानिएगा. इससे ज्यादा सीटें नहीं आएंगी.
संयुक्त मोर्चे के आगे की रणनीति के सवाल पर उन्होंने कहा कि ये तो चुनावी नतीजे आने के बाद तय होगी. सभी पार्टिय़ों ने घोषणापत्र में शामिल किया है. भाजपा ने भी घोषणपत्र बदला है. समस्याओं का समाधान होगा तो क्या दिक्कत होगी.
पीएम ने सारी बात मान ली तो अच्छा लगा फिर धरना भी उठ गया. हम हिंसा पर विश्वास नहीं करते हैं. अपनी बात तो कहनी हैं. इसका माध्यम शांतिपूर्ण आंदोलन है. हम हर वक्त जनता को परेशान नहीं करना चाहते हैं. आंदोलन और कर्ज से किसान को मुक्ति मिले. सरकार को इस बारे में सोचना चाहिए. अन्नदाता है किसान. देश को आत्मनिर्भर बना दिया. आज पूरी दुनिय़ा में भारत का डंका बज रहा है. आंदोलन से किसानों को छुटकारा मिलनी चाहिए. आमने-सामने बैठकर बातचीत होनी चाहिए.
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सरकार की नीयत में खोट के सवाल पर उन्होंने कहा कि 2014 और 2019 में हमने भाजपा को वोट दिया. किसानों और मजदूरों ने सहयोग किया. उम्मीदों पर सरकार खरी नहीं उतरी. सरकार अगर कोई बात नहीं मान रही है तो कम से कम बताए. डीजल और पेट्रोल 100 रुपए के ऊपर चले गए थे. चुनाव के चलते अब इसे रोककर रखते हैं. किसान के फसल के दाम भी ठीक मिलने चाहिए. पीएम मोदी ने कहा कि 2014 में जब सरकार आएगी तो पेमेंट कर देंगे. गन्ने का भुगतान भी 450 रुपए कुंतल कर देंगे. हमारा कोई और बिजनेस नहीं है. जो कुछ है खेती है. फसल के दाम सही मिलेंगे तो किसान खुश रहेगा. किसान को हिंदू-मुस्लिम में न घसीटें. किसान सभी बिरादरी के हैं. किसान खुशहाल रहेगा तो देश खुशहाल रहेगा.
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