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मुजफ्फरनगर नगरपालिका परिषद अध्यक्ष अंजू अग्रवाल बोलीं, बड़ी साजिश के तहत फंसाया गया - अंजू अग्रवाल का बयान

मुजफ्फरनगर नगरपालिका परिषद की अध्यक्ष अंजू अग्रवाल ने गंभीर अनियमितता के आरोप के मामले गुरुवार को एक बयान जारी किया है. इसमें उन्होंने कहा है कि उन्हें साजिश के तहत फंसाया जा रहा है. उन्होंने अपने कार्यकाल में कोई भी गलत काम नहीं किया है.

मुजफ्फरनगर नगरपालिका परिषद् की अध्यक्ष अंजू अग्रवाल
मुजफ्फरनगर नगरपालिका परिषद् की अध्यक्ष अंजू अग्रवाल

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Published : Oct 13, 2022, 9:38 PM IST

Updated : Oct 13, 2022, 10:41 PM IST

मुजफ्फरनगर:नगरपालिका परिषद् की अध्यक्ष अंजू अग्रवाल ने गुरुवार को शासन द्वारा वित्तीय अधिकारों के बाद उनकी प्रशासनिक शक्ति को भी सीज करते हुए पद से हटाये जाने के आदेश जारी करने के मामले में अपना बयान जारी किया है. कहा कि अपने कार्यकाल में उन्होंने कोई भी गलत काम नहीं किया है. जनता के हितों को सर्वोपरी रखा और उसी के अनुसार काम किया है.

उन्होंने कहा कि वॉल पेंटिंग के भ्रष्टाचार में मुझ पर 5 हजार रुपये के भ्रष्टाचार का आरोप लगा है. उन्होंने कहा कि हमने 21 लाख रुपये राम मंदिर निर्माण में दिए है. इसके अलावा 31 लाख रुपये प्रधानमंत्री रिलीफ फंड में दिए हैं और करोड़ों रुपये के कोविड 19 के दौरान सैनिटाइजर और अन्य सुविधाओं के लिए खर्च कर दिए. हमने आज तक अपनी गाड़ी का खर्च भी शासन से नहीं लिया है.

अंजू अग्रवाल ने कहा कि शासन ने एक बार फिर हाईकोर्ट के आदेशों की अवहेलना करते हुए मुझे वित्तीय अधिकार प्रदत्त नहीं किया बल्कि 14 दिन के स्थान पर 39 दिन बाद उसी निरस्त आदेश के बिन्दुओं पर मेरे वित्तीय अधिकार के साथ-साथ प्रशासनिक अधिकार भी समाप्त कर दिए गए. मुझे बिना प्रति परीक्षण रिपोर्ट उपलब्ध कराए ही सुनवाई में बुलाया जाना एक औपचारिकता भर ही था. लगाए गए चार बिन्दुओं के आरोप में टिपर आपूर्ति और उसका जीएसटी और वॉल पेंटिंग में कम जमानत धनराशि लगाए जाने और पोरटेबल कॉम्पेक्टर आपूर्ति के बिन्दु सम्मिलित करते हुए अनियमितता वर्णित की गई.

आदेश में लिखा गया कि 11 टिपर में चार या पांच ही चल रहे हैं जबकि बीएस 4 के 11 टिपर निरन्तर कूड़ा उठाने का कार्य कर रहे हैं. बीएस छह के पांच टिपर फॅर्म द्वारा पालिका को आपूर्ति कराए गए हैं, वह विभागीय अधिकारियों की घोर लापरवाही के कारण कंपनी बाग में निष्प्रयोजित खड़े हुए है. साथ ही टिपर की जीएसटी जमा करने मामले में न्यायालय द्वारा आपूर्तिकर्ता फॅर्म की अपील स्वीकार करते हुए जीएसटी समायोजन पूर्व में ही किया जा चुका हैं. परन्तु इनका कोई भी उल्लेख आदेश में नहीं किया गया हैं.

अंजू अग्रवाल ने कहा कि डॉ. संजीव बालियान, केन्द्रीय राज्यमन्त्री भारत सरकार के शिकायती पत्र का हवाला दिया गया हैं और यह पूर्व से ही मण्डलायुक्त सहारनपुर द्वारा जैम पोर्टल के माध्यम से हुई निविदा प्रकरण हाई लेबिल कमेटी द्वारा जॉच करते हुए समाप्त किया जा चुका था. इन साक्ष्यों का कोई भी संज्ञान न लेते हुए दोबारा वहीं प्रकरण उठाया गया हैं. वॉल पेंटिंग में 5,500 रूपये की जमानत लगाये जाने का उल्लेख किया गया हैं. यह भी आरोपित लगाया है कि वॉल पेन्टिंग में जेई के बिना पैमाइश किए ही भुगतान किया गया हैं.

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Last Updated : Oct 13, 2022, 10:41 PM IST

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