मुजफ्फरनगर : कोरोना काल में जहां अपने ही अपनों से दूर हो रहे हैं, वहीं इंसानियत को जिंदा रखने वाले मंजर भी नजर आ रहे हैं. मजहब की दीवारों को लांघकर, आपसी रिश्तों को तरजीह देती इंसानियत का ऐसा ही मंजर, मंगलवार को पत्रकार शरद शर्मा के छोटे भाई अनुभव शर्मा के अंतिम संस्कार में नजर आया. मजहब की बंदिशों से दूर आपसी रिश्तों की हकीकत देखने को मिली.
अनुभव के साथ लंबे समय से काम कर रहे शहरवासी मो. युनूस अंतिम संस्कार के समय अपने को रोक नहीं सके. बड़े भाई की भांति चिता के पास मौजूद रहे और हाथ बंटाते रहे. इस दौरान उनकी आंखों से निकलते आंसू आपसी रिश्तों और भाईचारे की बुनियाद को बंया कर रहे थे.
जाति और धर्म से बड़ी इंसानियत