मुजफ्फरनगर: वैश्विक महामारी कोरोना के चलते गरीब कुम्हारों के लिए बड़ी संकट की स्थिति पैदा हो गई है. कुम्हार जो निर्जीव मिट्टी को चाक के जरिए सजीव दिखने वाली मूर्ति और बर्तनों को तराशता है उसके सामने रोजी-रोटी का संकट आ खड़ा हुआ है.
रोटी के लिए जद्दोजहद कर रहे कुम्हार
लॉकडाउन के कारण कुम्हार के एक साल से बने सभी बर्तन तकरीबन 3 महीने से ज्यादा समय से बिकने के इंतजार में हैं. सुराही, करवा, घड़ा, जिनकी बिक्री मार्च से शुरू होती है वह लॉकडाउन के चलते बिक नहीं पा रहे हैं. बर्तनों की बिक्री नहीं कर पाने से कुम्हारों के परिवार पर बड़ा आर्थिक संकट आ खड़ा हुआ है. उन्हें दो वक्त की रोटी के लिए जद्दोजहद करनी पड़ रही है.
बेमौसम बारिश की मार
कुम्हार कई प्रकार के बर्तनों को बनाते हैं जैसे घड़े, करवे, हांडी, कछाली. इस लॉकडाउन के कारण कोई भी बर्तन नहीं बिक पा रहे हैं. वहीं कुम्हारों के घर पर कई अधपके बर्तन भी पड़े हुए हैं. इस पर बर्तन बनाने वाले कमलेश का कहना है कि अब इन्हें कैसे तैयार करें. एक तो बेमौसम बारिश में ये बर्तन पक नहीं पा रहे हैं, जो पक भी गए वो बिक नहीं रहे हैं.
दीपावली के बर्तनों की कर रहे तैयारी
घर अधबने बर्तनों से भरा पड़ा हैं. ईटीवी भारत ने चाक पर बर्तन बना रहे तेलूराम से बात की तो उन्होंने बताया कि अब वह दीपावली के लिए दिये बना रहे हैं, क्योंकि जो बर्तन बनाए थे वह ज्यों के त्यों घर में रखा है. तेलूराम भी सभी प्रकार के बर्तन बनाते हैं, लेकिन कोविड-19 के चलते हुए लॉकडाउन में बर्तनों की बिक्री नहीं हुई है. तेलूराम ने बताया कि अब बची मिट्टी से दीपावली के लिए दिए बना रहे हैं.