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मुजफ्फरनगर: निलंबन कार्रवाई से नाराज मेडिकल कॉलेज के जूनियर डॉक्टरों का धरना

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Published : May 30, 2020, 1:15 PM IST

उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले में मेडिकल कॉलेज बेगराजपुर के जूनियर डॉक्टरों ने धरना प्रदर्शन किया. दरअसल डॉक्टरों का आरोप है इन लोगों पर निलंबन की झूठी कार्रवाई की गई है.

doctors did strike
डॉक्टरों ने की हड़ताल

मुजफ्फरनगर: जिले के मेडिकल कॉलेज बेगराजपुर में जनपद का कोविड-19 आई आइसोलेशन वॉर्ड बनाया गया है. वहीं आइसोलेशन वॉर्ड में ड्यूटी कर रहे जूनियर डॉक्टर को कॉलेज प्रशासन ने अर्थदंड के साथ निलंबन की कार्रवाई की है. निलंबित डॉक्टर के समर्थन में ड्यूटी पर तैनात अन्य डॉक्टर भी कॉलेज प्रशासन के खिलाफ मेडिकल कॉलेज के गेट पर धरना दिया. इस वैश्विक महामारी के बीच काम कर रहे युवाओं के प्रति इस तरह का व्यवहार कॉलेज प्रशासन के साथ-साथ जिला प्रशासन पर भी सवाल खड़ा करता है.

डॉक्टरों ने हड़ताल कर किया प्रदर्शन.
जूनियर डॉक्टरों को किया गया निलंबित
ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान निलंबित डॉ. रमेश पांडे ने बताया के वे लोग रोस्टर बनाकर अपनी ड्यूटी कर रहे थे. वहीं अचानक झूठे आरोप लगाकर उन्हें और उनके दो साथियों को 20 तारीख को निलबंन का ऑर्डर मिला. फिर अचानक से इसको रोक दिया गया और बीती शाम के समय उन्हें तत्काल हॉस्टल खाली करने के लिए कहा गया. वे उस समय कहीं जा नहीं सकते थे. उन्होंने डीएम साहब को पास बनवाने के लिए ज्ञापन दिया. डीएम साहब ने मामला संज्ञान में लेने और कुछ करने का आश्वासन दिया. वहीं रात में इन लोगों ने जब हॉस्टल जाना चाहा तो इन्हें रोक दिया गया.


25 हजार का लगाया जुर्माना

वहीं निलंबित डॉ. हिमांशु त्रिपाठी ने बताया कि उन्हें 20 तारीख को नोटिस दिया गया था. उसके बाद उन्हें आश्वासन दिया गया था कि चेयरमैन साहब आएंगे और वह 28 तारीख को इस पर फाइनल डिसीजन देंगे, क्योंकि निलंबन सरासर गलत है. उनका कहना था कि एक महीने की सैलरी 60 हजार है. वहीं उन्हें एक महीने के लिए निलंबित कर दिया गया और साथ ही 25 हजार का जुर्माना लगाया गया है, जिससे उन्हें 85 हजार का बोझ पड़ रहा है.

रात में सभी एक घंटे तक बारिश में भीगते हुए यहां इकट्ठा रहे तब जाकर एसएचओ के दखल के बाद उन्हें अंदर प्रवेश दिया गया. वहीं शनिवार सुबह 9 बजे सभी से यह बोला गया कि आज ही खाली करना है. इन लोगों ने बताया कि उनका कोई पास नहीं बना है और न ही कोई इंतजाम है कि वे घर चले जाएं. साथ ही जूनियर डॉक्टर्स का आरोप है कि उनकी कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है.

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