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कृषि कानूनों की वापसी पर किसान नेता नरेश टिकैत बोले- न तुम जीते, न हम हारे...पढ़िए पूरी खबर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से तीन कृषि कानूनों की वापसी के ऐलान के बाद ईटीवी भारत की टीम ने किसान आंदोलन के अगुवाकार भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत से खास बातचीत की. इस फैसले को लेकर उन्होंने खुशी जताई और कहा...न तुम जीते, न हम हारे.

भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत से ईटीवी भारत ने की खास बातचीत
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत से ईटीवी भारत ने की खास बातचीत

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Published : Nov 19, 2021, 3:30 PM IST

मुजफ्फरनगरः मुजफ्फरनगर के कस्बे सिसौली में तीन कृषि कानूनों की वापसी पर ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए भारतीय किसान यूनियन के (भाकियू) राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी नरेश टिकैत ने कहा कि सरकार ने बहुत अच्छा फैसला लिया है. इसका हम स्वागत करते हैं. टिकैत ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यह अच्छी पहल है. किसानों के साथ धोखा नहीं होना चाहिए.

उन्होंने कहा कि अच्छे फैसले को अच्छा ही कहा जाएगा. हालांकि उन्होंने यह फैसला एक साल बाद लेने पर अफसोस भी जताया. कहा कि यह फैसला लेने में सरकार को एक साल लग गए. कई किसानों को नुकसान भी हो गया. खैर, इस दौरान संगठन को काफी मजबूती मिली.

उन्होंने यह भी कहा कि आंदोलन में शहीद हुए किसानों की आत्मा को सरकार के इस फैसले के बाद शांति मिलेगी. आंदोलन में सात सौ किसान शहीद हुए हैं. किसानों का बलिदान बेकार नहीं जाएगा. उनका नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा.

भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत से ईटीवी भारत ने की खास बातचीत

उन्होंने एक कहावत भी कही, न तुम जीते, न हम हारे... यह बराबर की बात हो गई है. जब उनसे आंदोलन खत्म करने का सवाल पूछा गया तो उन्होंने जवाब दिया कि एक साल तक चले आंदोलन को घंटों में खत्म नहीं किया जाएगा. बातचीत होगी. संयुक्त मोर्चा से विचार विमर्श के बाद ही आंदोलन वापसी पर फैसला होगा.

उन्होंने किसान आंदोलन के दौरान आम लोगों को हुई परेशानी पर भी दुख जताया. कहा कि हमारी मंशा किसी को परेशान करना नहीं थी. किसान खुद परेशान थे. एक साल के आंदोलन के दौरान हमने कोशिश करके किसी को परेशान नहीं होने दिया. सभी परेशानियों का किसानों ने खुद सामना किया.

उन्होंने यह भी कहा कि किसान आंदोलन के दौरान हम पर कई आरोप लगे. हमें आतंकवादी, खालिस्तानी, आंदोलनजीवी तक कहा गया. खैर, अब प्रधानमंत्रीजी ने बढ़िया पहल की है. उन्होंने राजा का कर्तव्य निभाया है. किसानों का साथ दिया है. जनहित का बात की है. इस पहल का स्वागत है.

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उन्होंने आंदोलन में भाग लेने वाले सभी किसानों को धन्यवाद दिया. साथ ही अपील की कि किसान देशहित के विरुद्ध कोई भी काम न करें. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि सरकार किसानों के विरुद्ध इस तरह के अब कोई काम न करे ताकि हमें ऐसे आंदोलन के लिए विवश होना पड़े

जब उनसे पूछा गया कि आगामी 2022 के चुनाव के मद्देनजर क्या सरकार ने यह फैसला लिया है तो उन्होंने जवाब दिया कि हो सकता है. किसानों की नाराजगी दूर करने की कोशिश की गई है. इस वजह से ही यह फैसला लिया गया है.

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