मुजफ्फरनगर:आयुर्वेद हमारे ऋषि मुनियों द्वारा दी गई बहुमूल्य धरोहर है, जिसकी विशेषताओं और उपयोगिता का वर्णन शब्दों में करना बहुत ही मुश्किल है. आयुर्वेद का इतिहास हजारों वर्ष पुराना है और आज भी यह इलाज पद्धति सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है. इसी को लेकर ईटीवी भारत ने आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य प्रोफेसर सुधीर सहाय से खास बातचीत की.
मुजफ्फरनगर: जाने क्या हैं कोराना वायरस में आयुर्वेद के प्रभाव
उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले में कोरोना वायरस को लेकर आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य प्रोफेसर सुधीर सहाय से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की. वहीं उनसे इस वैश्विक महामारी कोविड-19 में आयुर्वेद के प्रभाव के बारे में जाना गया.
प्राचार्य प्रोफेसर सुधीर सहाय ने इस महामारी के बारे में आयुर्वेद के प्रभाव को बताया. उन्होंने कहा कि आयुर्वेद में जो हमारी औषधियां है वह एलोपैथिक की तरह काम नहीं करती हैं. आयुर्वेद में तीन आधार पर औषधियां काम करती हैं इसमें वात, पित्त, कफ जैसे दोष शामिल हैं. रोग कैसे उत्पन्न हुआ, दूसरा आधार है वो किस तंत्र का रोग है जैसे नर्वस सिस्टम. वहीं तीसरे का आधार है कि किन कारणों से रोग उत्पन्न हुआ है. इन तीन कारणों से हम औषधियों का चयन करते हैं.
आयुर्वेद में एक ही औषधि विभिन्न रोगों की चिकित्सा में काम करती है. गिलोय, अश्वगंधा आदि ऐसी ओषधियां हैं, जो बहुत से रोगों काम आती हैं. अश्वगंधा वात, पित्त, कफ तीनों दोषों का सामना करती है और शरीर के सभी तंत्रों पर काम करती हैं. वहीं इन तंत्रों में होने वाले रोगों को ठीक भी करती है. अश्वगंधा एक बहुत अच्छा औषधि है ये हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है. अश्वगंधा एक श्रेष्ठ औषधि है, जिसका प्रयोग विभिन्न रोगों में प्रयोग किया जा सकता है.