मुजफ्फरनगर:केंद्र सरकार ने गन्ना सत्र 2020-2021 के लिए गन्ना मूल्य में 10 रुपये की बढ़ोतरी की है. केंद्र सरकार द्वारा पिछले तीन सालों में गन्ना मूल्य नहीं बढ़ाया गया था. जबकि उत्तर भारत के उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा में राज्य सरकारों द्वारा तय (sap) मूल्य गन्ना किसानों को दिया जाता है. वहीं कर्नाटक, महाराष्ट्र व साउथ के अन्य राज्यों में केंद्र सरकार गन्ने का उचित एवं लाभकारी (एफआरपी) द्वारा तय मूल्य का भुगतान किया जाता है. कुल मिलाकर उत्तर भारत राज्य सरकारों द्वारा गन्ने का भुगतान 315 तक किया जा रहा है. जबकि केंद्र सरकार द्वारा गन्ना मूल्य 10 रुपये बढ़ाए जाने के बावजूद भी यह अब 285 हुआ है.
सरकार फार्मूला बताए कि 10 रुपये किस आधार पर बढ़ाए ?
गन्ना मूल्य को लेकर ईटीवी भारत ने भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी धर्मेंद्र मलिक से बातचीत की. जिसमें धर्मेंद्र मलिक ने कहा कि भारत सरकार द्वारा गन्ना मूल्य में जो 10 रुपये बढ़ाने की घोषणा की गई है, वह "ऊंट के मुंह में जीरा" के समान है. उन्होंने कहा कि भारत सरकार फार्मूला बताएं कि 10 रुपये किस आधार पर बढ़ाए हैं? जबकि पिछले साल भारत सरकार ने गन्ना मूल्य में कोई बढ़ोतरी नहीं की थी. लेकिन इस बार 10 रुपये की बढ़ोतरी की गई है. जबकि महंगाई दर 7 प्रतिशत के आसपास है. जो पिछले साल 6.75 प्रतिशत थी. यानी 14 प्रतिशत के आसपास महंगाई बढ़ी है. यदि 270 का 14 परसेंट देखें तो 40 से 50 रुपये बनता है. यानी कम से कम 50 रुपये उसके आधार पर बढ़ने चाहिए थे, जिस आधार पर हमारी लागत बढ़ी, डीजल के दाम बढ़े. एक तरह से डीजल के भाव पेट्रोल से भी ऊपर चले गए थे.
भारत सरकार का frp (मूल्य) 285 एक मजाक
उन्होंने कहा कि किसान डीजल का उपयोग करता है. बिजली के दाम में 2 साल में दोगुना बढ़ोतरी हुई. इसके अलावा अन्य चीजें भी खाद, रासायनिक उर्वरक, दवाइयां जो गन्ना खेती में प्रयोग होती हैं उनकी कीमतों में भी काफी वृद्धि हुई है. उन्होंने कहा कि भारत सरकार का एफआरपी (मूल्य) 285 एक मजाक है. भारत सरकार का कृषि मूल्य आयोग है, जिसके अध्यक्ष ने 2010 में यह कमेंट किया था कि गन्ने का मूल्य 300 रुपये होना चाहिए. जबकि 10 साल बाद भी 285 रुपये मूल्य तय करके किसानों की कल्याण की बात हो रही है. यह काल्पनिक बात है. दुर्भाग्य है देश का, देश के, किसान का वाले फार्मूले के आधार पर कोई चीज तय नहीं की जाती.
केंद्र सरकार ने कहा था स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट पर देंगे गन्ने का भाव
उन्होंने आगे कहा कि 2014 में जब पीएम मोदी आए तो उन्होंने नारा दिया ‘बहुत हुआ किसानों पर अत्याचार, अबकी बार भाजपा सरकार’. उन्होंने कहा था कि हम स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के आधार पर गन्ने का भाव देंगे. मीडिया प्रभारी धर्मेंद्र मलिक ने बताया कि शाहजहांपुर शुगर इंस्टिट्यूट इंस्टिट्यूट की रिपोर्ट के अनुसार 1 क्विंटल गन्ने की पैदावार में 285 से 290 रुपये की लागत आती है. तो उस आधार पर गन्ने का मूल्य 500 रुपये होने चाहिए. भारत सरकार को ऐसा मूल्य घोषित करना चाहिए जिससे देश में मजाक ना हो.
इससेमहाराष्ट्र, गुजरात, तमिलनाडु, कर्नाटक के किसानों का उत्पीड़न होगा
धर्मेंद्र मलिक ने बताया कि उत्तर प्रदेश में आज भी गन्ने का मुल्य 310-315 रुपये है. हरियाणा में उत्तराखंड में भी 300 से ऊपर मूल्य है. जब पहले से यह मूल्य हैं, तो पीएम मोदी की यह जो घोषणा की गई है उसे क्या माने ? जबकि उत्तर प्रदेश के किसान को मूल्य 310 मिला है. उसमें भी कठिनाई आ रही है, तो 285 रुपये मूल्य के क्या मायने हैं ? इससे उन किसानों का उत्पीड़न होगा, जो महाराष्ट्र, गुजरात, तमिलनाडु, कर्नाटक के हैं. उत्तर भारत के कुछ राज्यों में एसएपी लागू होता है. वहीं साउथ में एफआरपी लागू होता है. तो भारत सरकार को चाहिए कि गन्ने का कम से कम 400 रुपये मूल्य घोषित करें.