उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

सच्चाई की लड़ाई लड़ते-लड़ते जवानी से आया बुढ़ापा, 400 तारीख, 26 साल बाद हुआ बरी

By

Published : Jul 1, 2022, 7:52 PM IST

कहते हैं सच कभी पराजित नहीं होता. एक बुजुर्ग ने झूठे मुकदमे के खिलाफ सच की लड़ाई 26 साल तक लड़ी. आखिर में जीत बुजुर्ग की ही हुई और उन्हें उस मुकदमे से बरी कर दिया गया. क्या था पूरा मामला चलिए जानते हैं.

Etv bharat
सच्चाई की लड़ाई लड़ते-लड़ते जवानी से आया बुढ़ापा, 400 तारीख, 26 साल बाद हुआ बरी

मुजफ्फरनगरः अवैध तमंचा रखने के झूठे आरोप में एक बुजुर्ग को जेल भेज दिया गया था. इस मुकदमे की 400 तारीखें पड़ी और 26 साल तक बुजुर्ग लगातार न्याय की लड़ाई लड़ते रहे. अंत में कोर्ट ने उन्हें निर्दोष मानते हुए इस मुकदमे से बरी कर दिया. जवानी में शुरू हुई उनकी न्याय की लड़ाई बुढ़ापे में जाकर खत्म हुई.

नगर कोतवाली क्षेत्र स्थित रोहना खुर्द गांव निवासी एक 70 साल के बुजुर्ग रामरतन को पुलिस ने 2 नवंबर 1996 को अवैध तमंचा रखने के आरोप में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था. करीब 3 माह बाद रामरतन जमानत पर छूट कर बाहर आए थे. इसके बाद जनपद की सीजेएम कोर्ट में रामरतन के विरुद्ध मुकदमे की सुनवाई चली. करीब 24 साल बाद सीजेएम मनोज कुमार जाटव ने 9 सितंबर 2020 में रामरतन को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया था. इस मुकदमे में पुलिस बरामद तमंचा कोर्ट के सामने पेश नहीं कर पाई थी.

इसके बावजूद रामरतन की मुश्किल खत्म नहीं हुई. साक्ष्य के अभाव में बरी होने के बाद राज्य सरकार की ओर से जिला शासकीय अधिवक्ता ने जिला जज कोर्ट में रामरतन के विरुद्ध मुकदमे की सुनवाई पुन: करने की अर्जी लगाई. इस पर अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश कोर्ट संख्या-11 के जज शाकिर हसन ने मामले की सुनवाई शुरू की. करीब 2 साल की सुनवाई तथा दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद कोर्ट ने राज्य सरकार की और से दाखिल की गई पुन: सुनवाई की अपील खारिज कर दी. 27 जून को एक बार फिर से बुजुर्ग रामरतन इस मुकदमे से बरी हो गए. इस तरह उन्हें 26 साल बाद कोर्ट से न्याय मिला. इस मुकदमे में कुल 400 तारीखें पड़ीं और 26 साल लगे.

इस बारे में बुजुर्ग रामरतन का कहना है 2 नवंबर 1996 को पुलिस वालों ने उन्हें कट्टा और कारतूस दिखाकर जेल भेज दिया. करीब तीन महीने बाद जमानत पर वह बाहर आए. कोर्ट में हर तारीख पर गए. 2020 में बरी किए गए थे. दो साल उन्हें पुन: सुनवाई की अपील के खिलाफ मुकदमा लड़ना पड़ा. उन्होंने कहा कि इस मुकदमे की वजह से उनकी आर्थिक स्थिति चरमरा गई. दो बेटियां पढ़ भी नहीं सकीं. उनकी शादी भी ढंग से नहीं हो पाई. सीएम को भी पत्र भेजा था. फर्जी गिरफ्तारी करने वाले को सजा देने की मांग की थी. कहा कि मेरी जवानी मुकदमे में ही चली गई. सरकार से मुझे आर्थिक सहायता मिलनी चाहिए.


ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

ABOUT THE AUTHOR

...view details