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यूपी पंचायत चुनाव: कैसी होगी खेती किसानी, जब खेतों तक नहीं पहुंचेगा पानी

उत्तर प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की सरगर्मियां तेज हो गई हैं. कड़कड़ाती ठंड के बीच गांव की राजनीति भी गरमाने लगी है. ईटीवी भारत की टीम लगातार गांव-गांव जाकर पिछले पांच साल में जनप्रतिनिधियों द्वारा गांवों में कराए गए विकास कार्यों की पड़ताल कर रहा है. सुनिए क्या कह रहे हैं चंदौली जिले के मतदाता.

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Published : Feb 8, 2021, 6:29 AM IST

उत्तर प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की सरगर्मियां तेज हो गई हैं.
उत्तर प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की सरगर्मियां तेज हो गई हैं.

चंदौली:जिले में पंचायत के प्रतिनिधि विकास की गंगा बहाने का दावा करते हैं. लेकिन जमीनी हकीकत इससे इतर है. जिले में कहीं ड्रेनेज सिस्टम ना होने के चलते फसल खराब हो रही है तो कहीं बिना पानी ही फसलें सूख जा रही हैं. यही नहीं विकास की गाड़ी दौड़ाने के लिए सड़के तो बनी हैं, लेकिन तीन महीने में ही गड्ढे में तब्दील हो गईं. ऐसे में जिले की जनता को आज भी वास्तविक विकास की दरकार है.

पांच साल में हुए विकास की कहानी सुनिए चंदौली जिले के मतदाताओं की जुबानी
चंदौली के सकलडीहा ब्लॉक की तस्वीर
जिले की सकलडीहा ब्लॉक में विकास की अंधी रफ्तार के चलते भोजापुर स्टेशन को जोड़ने के लिए पीडब्ल्यूडी विभाग की तरफ से सड़क तो बना दी गई. लेकिन क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के चलते ड्रेनेज सिस्टम को ही बंद कर दिया गया, जिसके चलते नहर से खेतों में आने वाले पानी के कारण फसलें सड़कर बर्बाद हो रही हैं. यह समस्या एक दो गांव की नहीं, बल्कि एक दर्जन गांवों की है. लेकिन जनप्रतिनिधियों को इसकी चिंता नहीं है.
चंदौली के फतेहपुर ब्लॉक की तस्वीर
जिले की सदर ब्लाक के फतेहपुर गांव में जिला पंचायत से हुए कामों का तीन-तीन सिलापट्ट तो लगा है. माइनर के किनारे पक्की दीवार सड़क और सफाई तो कर दी गई, लेकिन सबसे जरुरी पानी का ही प्रवाह नहीं है, जहां कर्मनाशा नदी से निकली नहर का पानी टेल के इलाके में नहीं पहुंच पा रहा है, जिससे दर्जन भर गांव के किसानों की सिंचाई बाधित है. इसकी शिकायत जनप्रतिनिधियों से कई बार की गई. लेकिन किसानों की समस्या का निदान नहीं किया गया. स्थानीय लोगों का कहना है कि बड़े किसान तो अपनी व्यवस्था कर लेते हैं.लेकिन छोटे किसानों साधन के अभाव में खेती नहीं कर पाते हैं.यह समस्या फतेहपुर के अलावा काटा गांव के समीप भी देखने को मिलती है, जहां पानी आता तो है. लेकिन उसका प्रवाह अच्छा न होने के चलते माइनर नहीं चलता. लोगों की मांग है कि काटा गांव के समीप एक अलग रेगुलेटर बनाया जाए. साथ ही गंगा नदी से जुड़े नहर को इससे जोड़ दिया जाए तो सिंचाई की समस्या का समाधान हो जाएगा, और दर्जनों गांव में किसान खुशहाल होंगे.
सड़कों की हालत हुई बदतर



विकास की रफ्तार आगे बढ़ाने का जिम्मा कहते है कि सड़कों पर होता है, लेकिन जब इस पर भ्रष्टाचार लेप चढ़ जाए तो विकास औंधे मुंह गिर पड़ता है. जिला पंचायत कोटे से बनी सकलडीहा क्षेत्र में सड़क की हालत देखकर कमीशनखोरी का अंदाजा खुद-ब-खुद हो जाएगा. ग्रामीणों की माने जिला पंचायत की यह सड़क 1 साल पूर्व ही बनाई गई थी. लेकिन 3 महीने बाद ही सड़क से गिट्टी अलग हो गई है. आज हालात यह है कि सड़क में गड्ढे हैं या गड्ढे में सड़क यह बता पाना भी मुश्किल हो रहा है. गड्ढे के चलते आए दिन लोग दुर्घटना का शिकार होते हैं. कभी-कभी तो लोग नहर में भी गिर जाते हैं.

अब हम आपको जिले की ऐसी तस्वीर दिखाने जा रहे हैं, जिसे देखकर आपको विकास की असली हकीकत समझ में आ जाएगी और आप इस सोच में पड़ जाएंगे कि 21वीं सदी के भारत की तस्वीर है, जहां लोगों को अपने घर से खेत जाने के लिए जान जोखिम में डालना पड़ता है. तस्वीर सदर विकास खंड हलुआ गांव की है, जहां एक ओर गांव की आबादी बसी है तो दूसरे छोर पर खेत है. सभी को रोजाना इस पार से उस पार जाना पड़ता है. बच्चे महिलाएं और बुजुर्ग इस अव्यवस्थित पुलिया से होकर रोजाना गुजरते हैं. कभी-कभी दुर्घटनाग्रस्त होकर चोटिल भी हो जाते हैं.

सपा सरकार में तत्कालीन सांसद रामकिशुन यादव के प्रयास से यहां छोटी पुलिया का निर्माण कराया गया था, जिससे लोगों का आवागमन आसान हो गया. लेकिन कुदरत के कहर बाढ़ के चलते वह भी धराशाई हो गया. अब पुल ना होने के चलते लोगों को 7 किलोमीटर लंबा सफर तय करना पड़ता है. इसके समाधान के लोग लगातार जनप्रतिनिधियों से संपर्क करते हैं. लेकिन जिला पंचायत इसे बनवाने की बजाए बजट का रोना रो रहे हैं.

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