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सपा-भाजपा के लिए अबूझ पहेली बनी मुगलसराय विधानसभा सीट, जानिए कारण...

मुगलसराय विधानसभा सीट सपा-भाजपा के लिए अबूझ पहेली बन चुकी है. यहां नामांकन प्रक्रिया शुरू होने के बाद भी प्रत्याशियों की घोषणा अभी तक नहीं हुई है. आखिर क्या है इसके पीछे का कारण जानिए इस खबर में....

मुगलसराय विधानसभा सीट
मुगलसराय विधानसभा सीट

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Published : Feb 11, 2022, 12:59 PM IST

चंदौली:यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में मुगलसराय विधानसभा सीट सपा-भाजपा के लिए अबूझ पहेली बन गई है. यहां नामांकन प्रक्रिया शुरू होने के बाद भी प्रत्याशी की घोषणा नहीं हुई. हालांकि कांग्रेस ने जरूर पहले गुरुवार को पूर्व विधायक छब्बू पटेल को अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया. इसके अलावा बीएसपी ने भी पूरी तरह से तश्वीर साफ नहीं की है. प्रभारी के तौर पर इरसाद अहमद बबलू को मैदान में जरूर उतारा है.

दरअसल, मुगलसराय विधानसभा सीट जिले की सबसे महत्वपूर्ण सीट मानी जाती है. जहां 2 नगर निकाय के अलावा सदर और नियामताबाद ब्लॉक क्षेत्र शामिल है. इस विधानसभा क्षेत्र सभी जातियों की मिश्रित आबादी है. यहीं वजह है कि यह सीट कभी भी किसी एक पार्टी की परंपरागत सीट नहीं रही है. कांग्रेस, जनसंघ, सपा, भाजपा के अलावा बसपा सभी पार्टियों के उम्मीदवार यहां से चुनाव जीत चुके है. फिलहाल इस सीट पर बीजेपी का कब्जा है और साधना सिंह यहां निर्वाचित विधायक है.

लेकिन इस सीट पर भाजपा के आंतरिक सर्वे में बेहतर फीडबैक न होने और बदले हालात में जातिगत समीकरण साधने के चलते टिकट कटने की आशंका है. जिसके चलते टिकट घोषित करने में देरी हो रही है. इसके अलावा भाजपा समाजवादी पार्टी के टिकट का भी इंतजार कर रही है. क्योंकि इस सीट पूर्व सांसद रामकिसुन यादव की सीट रही है. इस बार वे खुद भी यहां से चुनाव लड़ने की तैयारी में है. ऐसे में उनके खिलाफ मजबूत और जिताऊ उम्मीदवार की तलाश में है.

वहीं समाजवादी पार्टी के टिकट में देरी के पीछे आपसी गुटबाजी है. जिले में समाजवादी पार्टी कई धड़ों में बंट गई. इस सीट पर एकमत न होने के चलते टिकट घोषणा में देरी हो रही है. यहीं नहीं इस सीट पर सपा गठबंधन में शामिल संजय चौहान भी नजर गड़ाए हुए हैं.

गौरतलब है कि यह सीट जिले की अन्य सीटों का रुख तय करने में अहम भूमिका निभाती है. यहिं नहीं मिश्रित आबादी वाले वाले इस विधानसभा में वहीं चुनाव जीतता है. जिसका सभी वर्गों में समान रूप से प्रभाव हो. इस लिहाज से रामकिसुन एक ऐसे चेहरा है जो निर्विवाद रूप से सभी वर्गों में लोकप्रिय होने के साथ ही जिले के अन्य सीटों पर खासा प्रभाव रखते है. ऐसे में संगठन के विरोध और गठबंधन के डिमांड के बावजूद टिकट को सपा आलाकमान फैसला लेने में असहज महसूस कर रहा है. वहीं भाजपा विधायक साधना सिंह का ठाकुर और छोटे बड़े व्यापारी वर्ग खासा प्रभाव है.

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