चंदौली: जिले में पिछले काफी दिनों से खून का काला कारोबार करने वाले गैंग के सक्रिय होने की सूचना मिल रही थी. सदर कोतवाली पुलिस को सूचना मिली कि दो युवक ब्लड लेकर जा रहे है. पुलिस ने चेकिंग के दौरान दो संदिग्धों को गिरफ्तार किया. इनके पास से 2 यूनिट ब्लड भी बरामद हुआ. पूछताछ में इस बाबत कोई कागजात या ठोस प्रमाण नहीं दिखा सके. दोनों आरोपियों की पहचना हथियानी गांव निवासी भानुप्रताप व बबुरी थाना क्षेत्र के गोरारी गांव निवासी बब्बू के रूप में हुई.
खून का अवैध कारोबार करने वाले दो आरोपी गिरफ्तार आरोपियों ने कबूला जुर्म
पुलिस पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि वो ब्लड को एक निजी हॉस्पिटल में सप्लाई करते थे. आरोपियों ने जुर्म कबूल करते हुए कहा की उसके गैंग में 10 से 15 लोग शामिल है. जो लोगों को खोजकर उसका ब्लड निकलवाते हैं और निजी हॉस्पिटल में ले जाकर इसे बेच देते हैं. इस काम में मुख्यालय स्थित दो पैथोलॉजी सेंटर मदद करते हैं.
आरोपी भानु ने बताया कि वह इस गोरख धंधे में पिछले एक साल से लिप्त था और अब तक 100 से ज्यादा लोगों के ब्लड निकलवाकर बेंच चुका है. आरोपी ने बताया कि इस काम में शामिल लोग गांव में लोगों को पैसों का लालच देकर बिना किसी जांच के ही सीधे उसके शरीर से ब्लड निकलवा लेते थे. इसके बदले उन्हें कुछ पैसा दे देते थे. जिसके बाद उसे लाकर निजी अस्पताल को ढाई हजार रुपये में बेच दिया जाता था.
अस्पताल पर छापेमारी
सदर एसडीएम विजयनारायण सिंह, एसीएमओ डॉ. डीके सिंह, सीओ कुंवर प्रभात सिंह व कोतवाल गोपाल गुप्ता ने दलबल के साथ अस्पताल में छापेमारी की. एसीएमओ डॉ. डीके सिंह ने बताया कि जांच पड़ताल के दौरान खून बेचने के मामले में स्वास्तिक हॉस्पिटल की संलिप्तता पाई गई है. हॉस्पिटल संचालन के लिए जरूरी मानक का भी ख्याल नहीं रखा गया. किसी ब्लड को निकालकर चढ़ाने से पहले हेपेटाइटिस, एचआईवी, मलेरिया समेत कई तरह की जांच की जाती है, लेकिन यहां इन मानकों की धज्जियां उड़ाई गईं. एसीएमओ ने बताया कि अस्पताल में ब्लड चढ़ाने वालों की सूची और डिटेल भी नहीं है. हॉस्पिटल संचालक द्वारा ब्लड खरीदने की बात भी स्वीकार की गई है.
एसपी ने दी जानकारी
एसपी चन्दौली हेमन्त कुटियाल ने बताया कि गैरकानूनी तरीके से ब्लड तस्करी मामले में दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है. पूछताछ में वैभव और शुभम पैथॉलाजी का नाम प्रकाश में आया है, जिनकी मदद से ब्लड तस्करी का रैकेट चल रहा था. इस ब्लड को स्वास्तिक हॉस्पिटल में बेचा जाता था. जांच के बाद दोनों पैथॉलाजी और हॉस्पिटल को सील कर दिया गया है. पकड़े गए आरोपियों से पूछताछ की जा रही है. पूछताछ में स्वास्तिक हॉस्पिटल के प्रबंधक केपी सिंह व अन्य लोगों का नाम इस मामले में सामने आया है.
यह हॉस्पिटल आयुष्मान योजना के तहत चयनित है. इस योजना में ब्लड चढ़ाने के नाम पर भारी भरकम पैसे की वसूली होती है. फिलहाल पूरे मामले की जांच की जा रही है. इसमें शामिल सभी लोगों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी.