चंदौली: एक तरफ जहां पूरा देश राष्ट्रीय किसान सम्मान दिवस मना रहा है, तो वहीं दूसरी तरफ देश की राजधानी दिल्ली में हजारों की संख्या में किसान नए कृषि कानून के विरोध में धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. मोदी सरकार और किसानों की कई राउंड की बातचीत के बाद भी इसका हल नहीं निकाला जा सका. किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य समेत अन्य प्रावधानों में संशोधन की मांग को लेकर अडिग हैं. पीएम मोदी सहित तमाम मंत्री एमएसपी गारंटी की बात तो कह रहे हैं, लेकिन इसे कानूनी अधिकार दिए जाने को लेकर आना-कानी कर रहे है. राजधानी दिल्ली में किसानों के धरना प्रदर्शन और इस नए कृषि कानून को लेकर धान के कटोरे चंदौली के प्रगतिशील किसान क्या सोचते हैं. ईटीवी भारत ने उनसे खास बातचीत की.
नए कृषि कानून को लेकर किसान रतन सिंह ने कहा कि वे नए कृषि कानून का विरोध नहीं करते है, लेकिन उसमें संशोधन जरूर होना चाहिए. हमारे देश की उत्पादकता का सरकार मात्र 15 से 20 प्रतिशत ही खरीदारी करती है. बाकी 80 से 85 प्रतिशत राइस मिलर या अन्य एजेंसियां ही खरीदती हैं. ऐसे में सरकार यह कानून लागू कर दे कि न्यूनतम समर्थन मूल्य के नीचे कोई भी फर्म या निजी एजेंसी खरीदारी नहीं कर सकेंगी.
स्टॉक सीमा से किसान और जनमानस को होगा नुकसान
सरकार के नए कृषि कानून में 300 टन तक के स्टॉक सीमा की छूट दी गई है, जिससे जमाखोरी बढ़ेगी और बड़े उद्योगपतियों को लाभ होगा. बड़े पूंजीपति किसानों की फसल खरीदकर जमाखोरी करेंगे. इससे किसानों की फसल भी सस्ते में बिक जाएगी और दूसरी तरफ इनकी जमाखोरी के चलते आम जनमानस को यही कृषि उत्पाद महंगे दरों पर खरीदने पड़ेंगे. जो न ही किसानों के हित में और न ही आम जनमानस के हित में होगा.
किसानों को न्यायालय जाने का मिले अधिकार
यहीं नहीं नए कृषि कानून में किसानों से कानूनी लड़ाई के अधिकार छीन लिए गए हैं. नए कानून में कॉन्टेक्ट फॉर्मिंग के दौरान उद्योगपतियों द्वारा किसानों के शोषण की आवाज को लेकर किसान कोर्ट नहीं जा पाएगा. डीएम, एसडीएम कोर्ट में मामले का निस्तारण किया जाएगा. ऐसे में किसानों को न्यायिक अधिकार मिले, ताकि हम इन बड़े व्यवसायियों से लड़कर न्याय पा सके. देश के नौकरशाह इन बड़े पूंजीपतियों के आगे किसानों के हित में फैसला नहीं कर पाएंगे, जिससे किसानों की मुसीबतें कम नहीं होंगी.
तय एमएसपी पर किसानों की उपज पूरे साल खरीदी जाय