चंदौली/गाजीपुर: बिहार के बक्सर में महदेवा घाट पर गंगा में उतराते मिले कई शवों की सच्चाई क्या है? इसकी हकीकत जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने पड़ताल की. जिसमें गाजीपुर से जो तस्वीरे सामने आई हैं वो दिल दहला देने वाली हैं. यहां गहमर गांव के नरोरा गंगा घाट, कछला गंगा घाट और बुलाकी दास बाबा की मठिया घाट के पास तकरीबन एक किलोमीटर के दायरे में 100 से अधिक शव गंगा नदी के किनारे उतराते पाए गए. अधिकतर शव दो से चार दिन पुराने प्रतीत हो रहे हैं. शवों को कुत्ते नोचते दिख रहे थे. स्थानीय लोगों के अनुसार ये शव तीन-चार दिन से गंगा किनारे लगे दिखाई दे रहे है. ऐसी स्थिति में स्थानीय लोगों में भी संक्रमण फैलने का अंदेशा और बढ़ गया है.
गाजीपुर में शवों के उतराये जाने की खबर से हड़कंप
बिहार के बक्सर और गाजीपुर(यूपी) के पारा समेत कुछ अन्य इलाकों में गंगा में बड़ी संख्या में शवों के उतराते पाए जाने की खबर से हर तरफ हड़कंप मचा हुआ है. इन सबके बीच ये सवाल बड़ा है कि आखिर ये शव आए कहां से और जिस तरह से बक्सर के जिला प्रशासन ने गाजीपुर के रास्ते शवों के गंगा में आने की बात कही है, वो कितनी सच है. इन सब बातों पर गाजीपुर के जिलाधिकारी एमपी सिंह से ईटीवी भारत ने बातचीत की. उन्होंने बातचीत में ये स्पष्ट किया है कि प्रकरण की जानकारी होने के बाद मौके पर अलग-अलग टीमें भेजी गई हैं. एक टीम मौके पर मुआयना कर रही है. एक मोबाइल टीम गंगा में वास्तविक स्थिति जानने के लिए लगातार गश्त कर रही है, जो भी चीजें निकल कर सामने आएंगी उसी आधार पर कार्रवाई की जाएगी.
जांच के लिए लगाई गई हैं दो टीमें
जिलाधिकारी गाजीपुर एमपी सिंह ने कहा कि उनको इस संदर्भ में जानकारी हुई है कि गंगा में शव उतराते मिले हैं. ये शव कहां से आए हैं इस संदर्भ में जानकारी इकट्ठा की जा रही है. प्रथम दृष्टया शव पुराने प्रतीत हो रहे हैं, लेकिन इतनी बड़ी संख्या में शव यहां कैसे पहुंचे हैं और ये शव किसके हैं और यहां तक कैसे आ गए. इस बारे में जानकारी जुटाने के लिए प्रशासनिक टीमों को वहां भेजा गया है. प्रशासनिक टीमें अपने स्तर पर जांच कर रही हैं.
क्या कोविड संक्रमितों के हैं शव
जिलाधिकारी से कुछ गांव में लोगों की लगातार मौतों के बाद शवों को बहाये जाने की सूचना जिला प्रशासन को दिए जाने के सवाल पर उन्होंने कहा है कि ऐसी बात नहीं है, हमको जो भी जानकारी मिल रही है, हम लोगों की मदद कर रहे हैं. किसी भी तरह की मदद मांगने पर हम उन्हें मदद दे रहे हैं, लेकिन ऐसी कोई जानकारी हमें नहीं दी गई है कि उन्हें अंतिम संस्कार में दिक्कत आ रही है. बक्सर(बिहार) के एसडीएम और सीओ ने भी आकर मौका मुआयना किया है. उन्हें वहां किसी भी तरह के शव नहीं मिले हैं. हम उसका सत्यापन करवा रहे हैं कि ये डेड बॉडी कहां से आई हैं और किनकी हैं.
चंदौली के बलुआ श्मशान घाट पर की पड़ताल
ईटीवी भारत की टीम ने गाजीपुर जिले से लगभग 50 किलोमीटर दूर चंदौली के बलुआ श्मशान घाट पर पहुंचकर वहां की हकीकत जानी. वहां मौजूद लोगों से पूछा गया कि वहां पर आने वाले शवों का दाह संस्कार हो रहा है या फिर उन्हें सीधे गंगा नदी में बहाया जा रहा है. इस पर स्थानीय लोगों ने बताया कि शवों का दाह संस्कार किया जाता है. यहां सिर्फ नवजात शिशु या फिर साधू-सन्यासियों के शवों को गंगा नदी में प्रवाहित करने की परंपरा है. स्थानीय लोगों ने शवों को गंगा नदी में बहाने की बात से साफ इनकार किया. ऐसे में बड़ा सवाल उठता है कि गाजीपुर और बिहार क्षेत्र में गंगा नदी में उतराते मिले शव कहां से आए.
श्मशान पर बढ़ी शवों की संख्या
वाराणसी जिले से लगभग 45 किलोमीटर दूर और गाजीपुर से लगभग 50 किलोमीटर दूर स्थित बलुआघाट चंदौली जिले में पड़ने वाला इकलौता श्मशान घाट है. यहां पर बड़ी संख्या में शवों का दाह संस्कार इन दिनों किया जा रहा है. स्थानीय लोगों का कहना है कि बीते 10 दिन में शवों की संख्या काफी बढ़ी है. आसपास के जिलों से भी लोग यहां पर शवों का दाह संस्कार करने के लिए आ रहे हैं, लेकिन शवों के बहकर जाने की बात से यहां पर लोग इनकार कर रहे हैं. लोगों का साफ तौर पर कहना है कि परंपरा के अनुरूप शवों का थोड़ा हिस्सा ही गंगा में प्रवाहित किया जा रहा है.
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