चंदौलीः सरकारी दफ्तरों के रखे हुए चेक क्लोनिंग के जरिये अवैध संपत्ति अर्जित करने वाले गैंगस्टर राम आशीष सिंह की एक करोड़ से ऊपर की संपत्ति शनिवार को कुर्क की गई. जोकि पिछले 10 वर्षों से मुंबई, वाराणसी समेत मुगलसराय, चंदौली में चेक क्लोनिंग के नाजायज धन अर्जित करने वाले गिरोह में शामिल था. जिला मजिस्ट्रेट के आदेश पर एसडीएम और सीओ ने संपत्ति कुर्क की नोटिस तामिल कराई. इस दौरान अधिकारियों ने बाकायदा मुनादी करते हुए घर और जमीन के बाहर कुर्की का नोटिस बोर्ड लगा दिया.
चंदौलीः चेक क्लोनिंग के आरोपी राम आशीष की संपत्ति हुई कुर्क
यूपी के चंदौली जिले में चेक क्लोनिंग के जरिए संपत्ति अर्जित करने वाले राम आशीष की संपत्ति को जिला प्रशासन ने कुर्क कर दिया है. इसके लिए बाकायदा उसके घर के पास प्रशासन ने बोर्ड लगा दिया है.
दीनदयाल नगर के रहने वाला राम आशीष पिछले 10 सालों से सरकारी संस्थाओं के चेक को क्लोन करके उसका पैसा अपने खाते में ट्रांसफर कर लेता था. इसके साथ ही एक पूरा गैंग काम करता था. पिछले दिनों पुलिस गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था. उसके ऊपर गैंगस्टर की भी कार्रवाई की गई थी.
शासन के निर्देश पर पुलिस और जिला प्रशासन ने 14 (1) की कार्रवाई करते हुए रामाशीष सिंह की संपत्ति को कुर्क किया. जिसमें राम अशीष का घर, उसका एक प्लॉट, मोटरसाइकिल और स्कॉर्पियो गाड़ी शामिल है. इसकी अनुमानित कीमत एक करोड़ बताई जा रही है.
चेक क्लोनिंग का मामला उस वक्त सामने आया था, जब दीनदयाल नगर पालिका कार्यालय के खाते से नगर पालिका कार्यालय में रखे चेक की क्लोनिंग करके लाखों रुपये कैश हो गए थे. इसके अलावा दीनदयाल नगर स्थित जल निगम कार्यालय में भी ऐसा ही मामला सामने आया था. दोनों मामलों में मुगलसराय कोतवाली में मुकदमा दर्ज किया गया था.
चेक क्लोनिंग के मामले की तफ्तीश में राम आशीष और उसके साथी के शामिल होने की बात सामने आई थी. चंदौली पुलिस ने इस मामले का खुलासा करते हुए सभी को गिरफ़्तार कर जेल भेज दिया था. इस दौरान इनके पास मुम्बई, वाराणसी के संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय, काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट समेत कई संस्थाओं के क्लोन चेक मिले थे. इसके अलावा दीनदयाल नगर पालिका के क्लोन चेक बरामद हुए थे.
चेक क्लोनिंग करने वाला यह गैंग किसी भी संस्था के चेक हासिल कर उसे स्कैन कर लेता था. जिसके बाद मुम्बई में हाई क्वालिटी स्कैनिंग मशीन से उसकी क्लोनिंग कर लेता है. जिसमें उस चेक संख्या का आगे का सीरियल नंबर डालता था, ताकि चेक का दोहराव न हो सके. उस क्लोन चेक को खाते में कैश कराकर उसे तीसरे खाते में भेज देते थे, ताकि पैसे की वापसी न हो सके और जालसाज पकड़ा न जा सके.
-कुंवर प्रभात सिंह, डिप्टी एसपी