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बीजेपी ने पिछड़ों के इतिहास को मिटाने का काम किया- ओमप्रकाश राजभर - om prakash rajbhar allegations on bjp

चंदौली में भागीदारी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रेमचंद प्रजापति की अध्यक्षता में साहित्यकार और लेखक संतराम प्रजापति की जयंती मनाई गई. इसमें सुभासपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए. इस दौरान उन्होंने भाजपा पर जमकर निशाना साधा.

लेखक संतराम प्रजापति की जयंती मनाई गई
लेखक संतराम प्रजापति की जयंती मनाई गई

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Published : Feb 16, 2021, 8:20 AM IST

चंदौली : जिले में भागीदारी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रेमचंद प्रजापति की अध्यक्षता में सोमवार को साहित्यकार और लेखक संतराम प्रजापति की जयंती मनाई गई. इसमें भागीदारी संकल्प मोर्चा के संयोजक और सुभासपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए. इस दौरान संबोधित करते हुए कहा कि कुम्भार समाज के महापुरुषों के इतिहास को इतिहासकारों ने लिखने का कार्य नहीं किया. साथ ही उन्होंने भाजपा को भारतीय झूठ पार्टी करार दिया.

'2022 में बीजेपी सरकार को उखाड़ फेकेंगे'

उन्होंने कहा कि भाजपा देश की पहली ऐसी पार्टी है, जिसने पिछड़े और दलित समाज में जन्मे महापुरुषों के इतिहास को मिटाने का कार्य किया. यह लोग नहीं चाहते कि पिछड़ी जाति में जन्मे महापुरुषों की जयंती को धूमधाम से मनाया जाए. इस दौरान उन्होंने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर उत्तर प्रदेश में बीजेपी की सरकार बना सकते हैं, तो इनको उखाड़ कर फेंक भी सकते हैं. 2022 के विधानसभा चुनाव में इनको उखाड़ फेंकने का काम करेंगे.

संतराम महान विभूति

वहीं भागीदारी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रेमचंद प्रजापति ने कहा कि प्रजापति कुम्हार समाज में समय-समय पर ऐसी महान विभूतियों ने जन्म लिया. जिन्होंने न केवल समाज बल्कि देश का भी नाम रोशन किया. उन्हीं में से एक महानायक प्रजापति संतराम बीए हैं. जिन्होंने जातिवादी कुप्रथा को खत्म करने का प्रयास किया.

संतराम की पुस्तकें लाइब्रेरी में रखे जाने की मांग

मुख्य वक्ता के रूप में भागीदारी पार्टी के राष्ट्रीय प्रमुख महासचिव डॉ. महेश चंद्र प्रजापति ने संतराम बीए की जीवनी पर प्रकाश देते हुए कहा कि उन्होंने जाति व्यवस्था से ऊपर उठकर समानता की भावना का संचरण किया. 1922 में आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी, महावीर प्रसाद द्विवेदी, रामचंद्र शुक्ल, मुंशी प्रेमचंद, राहुल सांकृत्यायन जैसे लेखक उपन्यासकार उनके समकक्ष कार्य करते थे. वहीं इनके द्वारा लिखी गई 100 से अधिक पुस्तकें सरकारी लाइब्रेरी में उपलब्ध कराए जाने की मांग की.

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