चंदौली : जिले के सैदराजा थानाक्षेत्र के मनराजपुर में कथित पुलिसिया तांडव में मृत गुड़िया के पिता कन्हैया यादव बेटी के अंतिम संस्कार के बाद से ही अन्न-जल त्याग दिया है. बुधवार को उनकी हालत बिगड़ गई. उन्हें पुलिस कर्मियों की मदद से जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया. वहीं, इस घटना में घायल गुंजा पहले से ही एडमिट है. दोनों को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है. सुरक्षा को लेकर अस्पताल के वार्ड में दो महिला पुलिस कर्मी तैनात हैं. दोनों से मिलने आने वालों पर नजर रखी जा रही है.
अंतिम संस्कार के बाद पिता ने त्याग दिया अन्न-जल :पिता ने बेटी निशा की मौत के दूसरे दिन से ही अनशन शुरू कर दिया. उन्होंने बताया कि 24 घंटे पहले से ही अन्न-जल छोड़ दिया है. जब तक उनकी बेटी के हत्यारों को जेल नहीं भेजा जाता, वह तब तक अनशन पर ही रहेंगे. आखिरी सांस तक बेटी के लिए इंसाफ की लड़ाई लड़ेंगे. मांग की कि दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ धारा-302 के तहत मुकदमा दर्ज किया जाना चाहिए जिसके बाद अगले दिन बुधवार को उनकी तबीयत खराब हो गयी. उन्हें जिला अस्पताल भर्ती कराया गया. वो बेहोश हो जा रहे थे.
ये है मामला :मनराजपुर निवासी कन्हैया यादव के घर पुलिस के दबिश के दौरान उसकी बड़ी बेटी की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई. पुलिस पर मारपीट करके निशा यादव उर्फ गुड़िया को मौत के घाट उतारने का आरोप लगा था. इस मामले में निरीक्षक उदय प्रताप सिंह सहित कुल 6 पुलिस कर्मियों के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मुकदमा पंजीकृत हो चुका है.
परिजनों का हाल जानने पहुंचे पूर्व मंत्री मनोज राय :घटना में मृत गुड़िया यादव के परिजनों का हाल जानने सपा के पूर्व राज्यमंत्री मनोज राय धूपचंडी में जिला अस्पताल पहुंचे. उन्होंने बताया कि जिस तरीके से कन्हैया यादव की लड़की की मौत हुई और पुलिस ने तांडव किया, वह बताता है कि प्रदेश में पुलिसिया अत्याचार बढ़ गया है. हम बुधवार को यहां पहुंचकर उन्हें संबल देने के साथ ही उनकी इस तरह लड़ाई को आगे बढ़ाने का काम करेंगे. हम लोग देख रहे हैं कि आखिर पुलिस कर क्या रही है. मानवता खत्म हो रही है.
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प्रदेश में भी जंगल राज कायम :उन्होंने कहा कि पीड़ित परिवार का कहना है कि बीजेपी के स्थानीय नेता के कहने पर पीड़ित परिवार पर पुलिसिया उत्पीड़न किया जा रहा है. अगर धारा-151 के मुजरिम पर आप गैंगस्टर और गुंडा एक्ट लगा दें तो फिर भारतीय संविधान बचा कहां है. जब घर में पुरुष नहीं हैं और घर में सिर्फ महिलाएं है, उस समय घर में घुसकर तांडव करना ये कानून का राज नहीं है. ये जंगल राज है. ये सोचते हैं कि दमन कर चुप बैठा देंगे तो समाजवादी ऐसा होने नहीं देंगे.
उधर, इस घटना की शिकायत राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (National Human Rights Commission) तक पहुंच चुकी है. आयोग ने शिकायतकर्ता की शिकायत पर संज्ञान लिया है. आयोग की ओर से अपने स्तर से घटना की जांच कराई जा सकती है. ऐसे में घटना के लिए जिम्मेदार पुलिसकर्मियों की मुसीबत बढ़ सकती है.